उत्तर भारत में कई नेताओं के कॉन्ग्रेस छोड़ने और पार्टी के राजनीतिक पटल से गायब होने का सिलसिला अब दक्षिण भारत में भी पहुँच गया है। कॉन्ग्रेस के दो प्रमुख चेहरे दो दिन के भीतर पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में जा चुके हैं।
ताजा मामला आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री किरण रेड्डी का है जिन्होंने आज दिल्ली में भाजपा की सदस्यता ली है। इससे पहले यूपीए सरकार में लम्बे समय तक रक्षा मंत्री रहे एके एंटनी के पुत्र अनिल एंटनी ने पार्टी छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी।
किरण रेड्डी को केन्द्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने तो वहीं अनिल एंटनी को देश के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने भाजपा की सदस्यता दिलाई। कॉन्ग्रेस, पहले ही उत्तर भारत में मात्र राजस्थान और छत्तीसगढ़ और झारखंड में सिमट चुकी है। इन राज्यों में भी जल्द ही चुनाव होने वाले हैं।
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राजस्थान में तो कॉन्ग्रेस सरकार की मुश्किलें और भी बड़ी हैं क्योंकि उसके दूसरे नम्बर के नेता सचिन पायलट ही बागी तेवर अपनाए हुए हैं। ऐसे में दक्षिण से आ रही खबरें भी कॉन्ग्रेस के लिए चिंता का सबब हैं। किरण कुमार रेड्डी अविभाजित आंध्र के अंतिम मुख्यमंत्री थे।
आंध्र प्रदेश का वर्ष 2014 में बंटवारा हो गया था और इससे एक नया राज्य तेलंगाना बनाया गया था। किरण रेड्डी राज्य में पार्टी का बड़ा चेहरा थे। जहाँ रेड्डी वर्ष 2010 से 2014 के बीच राज्य के मुख्यमंत्री रहे थे, वहीं अनिल एंटनी केरल में कॉन्ग्रेस पार्टी के युवा चेहरों में से एक थे। वह भाजपा की सदस्यता लेने से पहले ही कई विषयों पर मुखर हो कर कॉन्ग्रेस की आलोचना कर चुके थे। वर्तमान में केरल में देश की अकेली वामपंथी सरकार है और वह पिछले चुनावों में दोबारा जीतकर आई थी।
आंध्र प्रदेश में भी कॉन्ग्रेस की स्थिति कुछ ख़ास अच्छी नहीं है। पहले कॉन्ग्रेस में ही रहे पूर्व मुख्यमंत्री YS राजशेखर रेड्डी के पुत्र, जगन मोहन रेड्डी की पार्टी का राज्य में मजबूत जनाधार है। जगन ने राज्य में कॉन्ग्रेस का ही जनाधार खिसकाया है। वहीं, विपक्ष में तेदेपा और भाजपा है, ऐसे में कॉन्ग्रेस की उम्मीदें और स्याह ही रही हैं। अब किरण रेड्डी का भाजपा में आना एक बड़ा काडर बेस भी भाजपा में लेकर आएगा।
दक्षिण भारत में पहले से ही कॉन्ग्रेस के पास अपना कोई राज्य नहीं है। अब उसके नेताओं का लगातार पार्टी छोड़कर जाना उसके संगठन के लिए भी एक चुनौती बन रहा है।
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तमिलनाडु में कॉन्ग्रेस की डीएमके गठबंधन वाली सरकार है, इसमें भी वह छोटे भाई के रोल में है। अनिल एंटनी के भाजपा में शामिल होने पर उनके पिता एके एंटनी ने कहा है कि यह फैसला सही नहीं है। अनिल एंटनी ने किरण रेड्डी का स्वागत करते हुए कॉन्ग्रेस पर कटाक्ष किए। किरण रेड्डी ने भाजपा की सदस्यता लेते हुए कहा कि उन्होंने कभी यह सोचा तक नहीं था कि वह कभी पार्टी छोड़ेंगे।
रेड्डी ने कॉन्ग्रेस पर गलतियों में सुधार ना करने की भी बात कही। पार्टी छोड़ने वाले नेताओं की लिस्ट अब लगातार लम्बी होती जा रही है। पहले राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले कई युवा नेताओं ने पार्टी छोड़ी और अब कई पुराने नेता भी पार्टी छोड़ रहे हैं। कभी राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया, आरपीएन सिंह और जितिन प्रसाद ने पहले ही पार्टी छोड़ दी थी।
अब गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल और किरण रेड्डी जैसे पुराने नेताओं ने भी पार्टी से किनारा कर लिया है। यह सारी घटनाएं 2024 के लोकसभा चुनावों में कॉन्ग्रेस की स्थिति और कमजोर बना रही हैं।