प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 अप्रैल को भारत के पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी के एक ट्वीट को कोट करते हुए लिखा कि ‘हम लगातार भारत की सांस्कृतिक विरासत को वापस लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं’। प्रधानमंत्री का यह ट्वीट 15वीं शताब्दी की एक हनुमान जी की एक मूर्ति के वापस भारत आने के सम्बन्ध में था।
देश के पयर्टन मंत्री ने जानकारी दी है कि हनुमान जी की एक प्राचीन मूर्ति को वापस भारत लाया गया है। इस मूर्ति का सम्बन्ध चोल शासन काल से है। अब इस मूर्ति को तमिलनाडु की एक संस्था को वापस दे दिया गया है। इस मूर्ति को तमिलनाडु के अरियालुर जिले के श्री वरदराज पेरूमल विष्णु मंदिर से चोरी किया गया था।
इस मूर्ति को कैनबरा में भारत के दूतावास को दिया गया था जहाँ से यह फरवरी माह में भारत वापस आया। हनुमान जी की यह मूर्ति के चोरी होने और वापस मिलने की कहानी काफी रोचक है। 500 वर्ष पुरानी इस मूर्ति की चोरी वर्ष 2012 में हुई थी। बाद में इस मामले में पुलिस जांच भी हुई थी लेकिन इसमें कुछ हासिल नहीं हुआ था।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया के अनुसार, इस मूर्ति को कीमती वस्तुओं की एक वेबसाइट पर बेचने के लिए डाला गया था।
इस मूर्ति की पहचान भारत से चोरी हुई मूर्तियों को वापस लाने के लिए काम करने वाले विजय कुमार ने की थी उनकी सूचना पर पुलिस अधिकारी आर राजाराम ने मूर्ति की फोटो को पुद्दुचेरी में स्थित फ्रेंच इंस्टिट्यूट ऑफ पुद्दुचेरी को भेजा था, इस संस्थान के पास इस मूर्ति का रिकॉर्ड मौजूद था। उन्होंने ने बताया था कि यह वही मूर्ति है।
मूर्ति की पहचान होने पर जांच एजेंसियों ने अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से इस मामले में सहायता मांगी थी। इस मामले में पता चला था कि हनुमान जी की यह मूर्ति को न्यूयॉर्क में एक नीलामी में बेचा गया था और ऑस्ट्रेलिया के एक व्यक्ति ने इसे खरीदा था।
इसको लेकर दोनों देशों की एजेंसियों ने भारतीय एजेंसियों के साथ मिलकर इस मामले को निपटाया। बाद में हनुमान जी की यह मूर्ति ऑस्ट्रेलिया में भारत के दूतावास को दे दी गई थी जहाँ से यह भारत आई।
प्रधानमंत्री ने इस मूर्ति को लेकर यह जानकारी दी है कि वर्ष 2014 के बाद से देश में 238 ऐसी प्राचीन मूर्तियाँ और वस्तुएं वापस लाई जा चुकी हैं। सरकार लगातार यह प्रयास कर रही है कि देश के मंदिरों एवं अन्य प्राचीन जगहों से चुराई हुईं बहुमूल्य वस्तुओं वापस लाया जाए।
दिसम्बर 2022 में लोकसभा में दिए गए एक उत्तर के अनुसार, 11 देशों से 72 ऐसी ही प्राचीन वस्तुओ और मूर्तियों को वापस लाने की प्रक्रिया जारी है।
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