अमृतपाल संधू के पीछे ‘पुल्स’ पड़ने के वजह से ख़ालिस्तानी तत्वों में निराशा की लहर और राष्ट्रवादियों में हर्षोल्लास दिख रहा है। दुबई से आया व्यक्ति लगभग एक वर्ष तक पंजाब में अराजकता फैलता रहा, लोगों को उकसाता रहा, और धर्म के नाम पर राष्ट्रद्रोह की भावना को जगाने का प्रयास करता रहा। दीप सिद्धू की संस्था ‘वारिस पंजाब दे’ को हथिया कर उसने पंजाब में घूम घूम कर साम्प्रदायिकता का वातावरण बनाया। अवतार सिंह खंडा नाम के ब्रिटेन में बैठे हैंडलर के माध्यम और परस्पर संपर्क से उसका दुष्प्रचार और सटीक, प्रखर होता रहा, और जरनैल सिंह भिंडरांवाले जैसा एक व्यक्तित्व बनने का प्रयास चलता रहा। अमृतसर जिले के अजनाला में जो विषम घटना रचने का प्रयास हुआ, जिसमें श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी का प्रकाश कर बेअदबी की घटना कराने का प्रयास हुआ, उससे परिस्थितियां अत्यंत चिंताजनक दिख रही थी।
हिन्दू विरोधी बयानों से लगातार हिन्दू सिख सौहार्द को बिगड़ने के प्रयास हो रहे थे, और एक अत्यंत ही निष्फल सिद्ध होते राज्य सरकार के चलते राज्य में बिगड़ती न्याय व्यवस्था की आग में लगातार घी डाल रहा था। यहां यह भी बताना आवश्यक है के पिछले वर्ष पंजाब पुलिस पर दो बार राकेट प्रेपैलेड ग्रेनेड (RPG) से हमले भी हो चुके थे, जिनमें एक उसकी मोहाली स्थित गुप्तचर सेवा मुख्यालय पर था, और दूसरा सीमावर्ती तरन तारण जिले में हुआ था। ऐसे में भिंडरांवाले समान एक व्यक्ति का आना एक सुनियोजित प्रयास का भाग है, यह स्पष्ट हो रहा था। पुलिस बल की कार्यवाही के बाद भागता फिरता अमृतपाल को उत्तराखंड के उधम सिंह नगर में भी देखा गया है, जो एक चिंता का विषय है, क्योंकि ख़ालिस्तानी आतंकवाद के शीर्ष दिनों में यह तराई का क्षेत्र अत्यंत प्रभावित था।
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सुरक्षा संस्थाओं को निरंतर सचेत रहने की आवश्यकता
लेकिन समस्या अभी भी विकट दिखाई जान पड़ती है, और उसके कई कारण हैं। अमृतपाल की छवि बनने के पीछे जिन ताकतों का समर्थन और व्यक्तियों का हाथ था वे बेहिचक और कई तरीकों से अराजकता फ़ैलाने में लगे हैं।
अमेरिका हो या ब्रिटेन, भारतीय वाणिज्य दूतावासों पर लगातार धरना प्रदर्शन के नाम पर भारतीय नागरिकों से मारपीट, धमकाने डराने के प्रयासों में वृद्धि ही हुई है। इनके पीछे पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी ISI के अलावा अब यह भी जान में आ रहा है के चीन जैसे राष्ट्र भी खालिस्तानियों को गुप्त समर्थन दे रहे हैं। इसका एक सूत्र हमें तभी मिल गया था जब 2021 में कनाडा में हुए ऑपरेशन चीता के माध्यम से ड्रग्स के विकराल और विस्तृत कारोबार पर नकेल कसी गयी थी। इसमें खालिस्तान समर्थक तत्व जो कनाडा में ड्रग्स का कारोबार करने के वाहक बनते हैं, बड़ी संख्या में गिरफ्त में आये थे।
ड्रग्स के माध्यम से धनराशि उत्पन्न करके आतंकवाद में लगाना एक बहुत ही गंभीर समस्या बनी है, और इस ‘नार्को टेरर’ को लेकर संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा मंडल ने भी अनेकों प्रस्ताव पारित किए हुए हैं। कनाडा के विषय में यह स्थिति इसलिए भी अधिक रूचि उत्पन्न करती है क्योंकि आज के समय इस धारा का स्रोत चीन बना हुआ है। अमेरिका स्थित प्रख्यात संस्था ब्रूकिंग्स इंस्टीटूशन द्वारा प्रकाशित एक पत्र में यह दर्शाया गया है कि कैसे अमेरिका, दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में विशेष रूप से चीन द्वारा निर्मित फेंटनायिल, ओपिएट जैसे जानलेवा ड्रग्स चीन के अराजक असामाजिक गैंगस्टरों द्वारा फैलाया गया है, और इन गैंग तत्वों की वहां की शासित कम्युनिस्ट पार्टी से सम्बन्ध जगज़ाहिर हैं।
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इसका एक विशेष उदहारण शीजी ली नाम के एक कुख्यात अंतरराष्ट्रीय स्तर की पहचान रखने वाले चीनी मूल के अमेरिकी गैंगस्टर में भी दिखती है, जिसे अमेरिका में पैसा हवाला करने की पद्धति पूर्णतः बदलने का श्रेय भी मिलता है, और जिसके सम्बन्ध चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से भी पाए गए हैं। यह कारण बनता है कि हमें इस समस्या पर सचेत रहने की कड़ी आवश्यकता है, और इसे समझने की आवश्यकता है कि विषय को भुनाने के लिए मात्र पाकिस्तान ही नहीं है। कंगाली की कगार पर खड़े पाकिस्तान के माध्यम से चीन के पैसों और ड्रग्स का बोलबाला भी हो सकता है, इसकी सम्भावना को नकारना गहन संकट उत्पन्न कर सकता है।
इसी से संबंधित दूसरा विषय भी है जिस पर हमें अत्यंत सचेत रहना है। विदेशों में रह रहे ख़ालिस्तानी अराजक तत्वों की गतिविधि पर नज़र बनाये रखना अत्यंत आवश्यक है। जिस तरह का दुष्प्रचार और प्रपंच इन तत्वों ने फैला रखा है, उससे यह स्पष्ट है के इन लोगों में बहुत ही अधिक क्षमता बन चुकी है।
‘समाचार’ के नाम पर बाज़ न्यूज़, सतलुज टीवी जैसी संस्थाएं भयंकर दुष्प्रचार फैलाती रही हैं, जो भारत में भी देखा जा रहा था। अमृतपाल के सन्दर्भ में इनपर प्रतिबन्ध अब लगा है, लेकिन निस्संदेह यह सब वापिस कोई न कोई रूप धारण कर लौटेंगे। इसीलिए इनसे जुड़े लोगों और संस्थाओं को चिन्हित करना भी उतना ही आवश्यक है, ताकि शीघ्र कार्यवाही हो सके।
भारत में भी इनके जैसे ‘पत्रकार’ जो ख़ालिस्तानी आतंकवादियों का महिमामंडन करने में लगे रहते हैं, चाहे देस पुआध हो, प्रो-पंजाब टीवी हो या अन्य ऐसे कई माध्यम हों, उनपर भी नकेल कसी गयी है, पर ढील पाने के लिए स्पष्ट निर्देश मिलने चाहिए। ऐसी संस्थाओं के माध्यम से अमृतपाल की वाणी का प्रचार प्रखर रूप से पंजाब और अन्य राज्यों में बैठे सिखों में भी हो रहा था। लेकिन कार्रवाई रुक नहीं सकती। रेडियो पाकिस्तान से आज भी एक पंजाबी दरबार नाम का कार्यक्रम चला आ रहा है, जो विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में सुना जा सकता है। इसमें अनेक तरह की भ्रांतियां, झूठे तथ्यों या तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर सिखों के विरुद्ध भेदभाव का दुष्प्रचार फ़ैलाने का पुरजोर प्रयास चलता रहता है। ऐसे विषयों पर भी पैनी दृष्टि बनाये रखने की सख्त आवश्यकता है।
पंजाब में संकट के बादल कुछ क्षण के लिए छंटे अवश्य है, लेकिन यह ध्यान रखना होगा कि राज्य पर यह बादल निरंतर मंडराते रहेंगे। पाकिस्तान ‘के-2’ (कश्मीर और खालिस्तान) रणनीति के अन्तर्गत पंजाब में लगातार ख़ालिस्तानी आतंकवाद को पुनर्जागृत करने के प्रयास चलते रहेंगे। इनफार्मेशन ऐज में दुष्प्रचार करने के माध्यम भी अनेकों हो गए हैं। ऐसे में आवश्यकता है कि सरकार, सुरक्षा बल और संस्थाएं एक कदम आगे बढ़कर सचेत रहें, और विषम परिस्थितियों को उत्पन्न होने से पहले ही रोकें। अमृतपाल जैसे व्यक्तिओं को लेकर दृढ़ निश्चय सहित कठोर कार्रवाई पर भी सर्वसम्मति होनी अति आवश्यक है। पंजाब में सुरक्षा, समृद्धि और शांति से ही लोगों का भला हो सकता है।
यह लेख जाने माने लेखक एवं स्तंभकार रोहित पठानिया द्वारा लिखा गया है।