महाराष्ट्र के अमरावती में हुए हत्याकांड में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने चार्जशीट दाखिल कर दी है, जिसमें तबलीगी जमात का नाम सामने आ रहा है। NIA के अनुसार, पैगम्बर मोहम्मद के अपमान का बदला लेने और देश में आतंक पैदा करने के इरादे से तबलीगी जमात से जुड़े इस्लामी कट्टरपंथियों ने फार्मासिस्ट उमेश कोल्हे की हत्या को अंजाम दिया था।
चार्जशीट में 11 लोगों को आरोपित बनाया गया है, जिसमें सभी तबलीगी जमात से जुड़े हुए हैं। NIA के अनुसार, उमेश कोल्हे की हत्या सोची समझी साजिश के तहत की गई थी, जिससे लोगों में डर पैदा किया जा सके। हत्या का मास्टरमाइंड इरफान खान जमात से जुड़ा हुआ था और जमात की शिक्षाओं का कट्टर समर्थक भी था।
यही इरफान ‘रायबर हेल्पलाइन’ नामक NGO चलाता था, जिससे 21 लोग जुड़े हुए थे। हत्याकांड में शामिल हुए सभी आरोपित इसी NGO के सदस्य थे। NGO को खाड़ी देशों से फंडिग मिलने की भी बात सामने आई है।
क्या है तबलीगी जमात
अमरावती हत्याकांड में एनआईए ने तबलीगी जमात के जुड़े होने का दावा किया है। तबलीगी का अर्थ इस्लाम के अनुयायियों द्वारा अल्लाह के संदेश का प्रचार एवं प्रसार करना होता है। इस काम को एक समूह में मिलकर करने वाले तबलीगी जमात कहे जाते हैं। औपनिवेशिक काल के दौर से ही तबलीगी जमात का केंद्र भारत रहा है और यहीं से यह विश्वभर में फैले थे।
अमरावती हत्याकांड
उल्लेखनीय है कि इसी वर्ष 21 जून, 2022 में महाराष्ट्र के अमरावती में फार्मासिस्ट उमेश कोल्हे की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। उमेश कोल्हे ब्लैक फ्रीडम नाम के एक व्हाट्सऐप ग्रुप से जुड़े हुए थे, जिसमें उन्होंने भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नुपुर शर्मा के समर्थन में एक पोस्ट शेयर किया था।
इस व्हाट्सऐप ग्रुप में एकमात्र मुस्लिम मेंबर युसूफ खान ने पोस्ट देखने के बाद उमेश की हत्या की साजिश रची और बाकी आरोपितों के साथ मिलकर हत्या को अंजाम दिया था। उमेश कोल्हे ने जो पोस्ट शेयर की थी, उसे यूसुफ खान ने ‘Rahbariya’ (रहबरिया) नामक ग्रुप सहित कई ग्रुप में शेयर किया। साथ ही, पर्सनल चैट के जरिए इस पोस्ट को कई जगह भेजने के बाद हत्या की साजिश रची।
इसके बाद, 21 जून, 2022 की रात 10 से 10.30 के बीच जब उमेश कोल्हे अपने घर बाइक से जा रहे थे, तभी बाइक पर सवार दो लोगों ने उमेश का रास्ता रोका और धारधार हथियार से उनकी गर्दन पर वार कर मौके से फरार हो गए। ये पूरी घटना सीसीटीवी में कैद हो गई थी। उमेश कोल्हे की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी।
ग़ौरतलब है कि इसी वर्ष एक टीवी डिबेट के दौरान भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नुपूर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद पर दिए एक बयान पर देशभर में कट्टरपंथियों द्वारा उनकी आलोचना की गई और बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। कई राज्यों में कट्टरपंथियों ने हिंसक घटनाओं को भी अंजाम दिया।
नुपूर शर्मा के बयान को लेकर इस्लामी कट्टपंथियों द्वारा हत्या का ये पहला मामला नहीं था। राजस्थान के उदयपुर में भी दर्जी कन्हैया लाल की भी नुपूर का समर्थन करने के लिए बेरहमी से हत्या कर दी गई थी, जिसकी जाँच आज भी जारी है।