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Home » एमनेस्टी इंटरनेशनल का दु:साहस: ‘हिजाब बैन और गोवंश संरक्षण अधिनियम को निरस्त करे कर्नाटक सरकार’
राष्ट्रीय

एमनेस्टी इंटरनेशनल का दु:साहस: ‘हिजाब बैन और गोवंश संरक्षण अधिनियम को निरस्त करे कर्नाटक सरकार’

कॉन्ग्रेस की सत्ता में वापसी के साथ ही फिर से मुस्लिम तुष्टिकरण और हिन्दू उत्पीड़न का एक उदाहरण यह है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल कॉन्ग्रेस सरकार पर दबाव बनाकर गोवंश के संरक्षण के लिए लाए गए अधिनियम और धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार संरक्षण अधिनियम 2022 को निरस्त करवाना चाहता है।  
Jayesh MatiyalBy Jayesh MatiyalMay 24, 2023No Comments3 Mins Read
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Amnesty international Karnataka hijab ban revoked
हिजाब पर प्रतिबंध हटाने की मांग करता एमनेस्टी इंटरनेशनल
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कर्नाटक में कॉन्ग्रेस की सत्ता में वापसी के साथ ही हिजाब का मुद्दा फिर उठने लगा है। एमनेस्टी इंटरनेशनल (Amnesty International) भारत की संवैधानिक संस्थाओं के आदेश को दरकिनार कर खुलेआम धमकी भरे अन्दाज में कह रहा है कि शिक्षण संस्थानों में लड़कियों के हिजाब पहनने पर लगे प्रतिबंध को तत्काल हटाया जाए।

कॉन्ग्रेस की सत्ता में वापसी के साथ ही फिर से मुस्लिम तुष्टिकरण और हिन्दू उत्पीड़न का एक उदाहरण यह है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल कॉन्ग्रेस सरकार पर दबाव बनाकर गोवंश के संरक्षण के लिए लाए गए अधिनियम और धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार संरक्षण अधिनियम 2022 को निरस्त करवाना चाहता है।  

यहां एमनेस्टी को कॉन्ग्रेस की तरह अल्पसंख्यकों की चिंता है। एमनेस्टी के लिए मानवाधिकार का अर्थ केवल मुस्लिमों के अधिकार से है, बाकी समुदायों से नहीं, इसीलिए वो राज्य सरकार को निर्देश दे रहा है कि समुदाय विशेष की रक्षा करके ही सरकार अपने दायित्व का निर्वहन कर सकती है। 

सोचने वाली बात यह है कि भारत के बाहर की एक संस्था इतना साहस कहां से जुटाती है कि वो भारतीय राज्य के एक सरकार को लगभग निर्देश दे कि क्या-क्या करना है? एमनेस्टी कैसे चुनी हुई सरकार द्वारा बनाए गए कानून को निरस्त करने की मांग कर सकती है? वो कैसे किसी चुनी हुई सरकार जिसे 15 दिन भी नहीं हुए उसे आदेश दे रही है?

ये बिलकुल संभव है यदि कॉन्ग्रेस 70 वर्ष तक सत्ता में रही हो। एमनेस्टी इंटरनेशनल इसलिए ऐसा कर पा रही है क्योंकि उसने कॉन्ग्रेस और उसके शासन के तरीके को पहले देखा है और उसके सत्ता में वापसी के साथ ही वह वही काम दोबारा शुरू करना चाहती है जो पिछले कुछ वर्षों में नहीं कर पाई थी, जब कॉन्ग्रेस सत्ता से बाहर रही।

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने देखा है कि कैसे सोनिया गांधी ने NAC बनाकर यूपीए सरकार के पॉलिसी मेकिंग का काम NAC को सौंप दिया था। पीएम उस कमेटी की सिफ़ारिश पर काम करते थे जिसे सोनिया गांधी ने चुना था।

सवाल यह है कि उस वक्त सोनिया गांधी इन Unelected लोगों के जरिए किसका एजेण्डा लागू करवा रही थी? आज जब एमनेस्टी इंटरनेशनल का यह निर्देश देखते हैं तो समझ में आने लगता है।

ज्ञात हो कि इससे पहले सलिल शेट्टी एमनेस्टी इंटरनेशनल के चीफ रह चुके हैं और भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कदम से कदम मिलाते हुए राहुल गांधी के साथ भी चल रहे थे। कहीं ऐसा तो नहीं है कि दोनों के बीच तब कोई सौदेबाजी या करार हुआ हो?

वैसे भी एमनेस्टी इंटरनेशनल को लेकर राहुल गांधी के मन में एक सॉफ्ट कॉर्नर रहा है। ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि सलिल शेट्टी पर 2018 में कर्नाटक की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने राजद्रोह का केस भी किया था जब, एमनेस्टी इंटरनेशनल के लोगों ने भारत की संप्रभुता को चैलेंज करते हुए बेंगलुरु में नारे लगाए। 

इसे क्या मात्र संयोग कहा जाए कि तब राहुल गांधी के हस्तक्षेप के कारण कर्नाटक सरकार ने शेट्टी पर किए गए केस को वापस ले लिया था। बता दें कि इसमें जयराम रमेश की भी भूमिका रही जो भारत जोड़ो यात्रा में अहम भूमिका निभा रहे थे।

सवाल फिर वही कि भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ चलने वाले सलिल शेट्टी और कॉन्ग्रेस पार्टी के बीच क्या कोई समझौता हुआ है कि आगे चलकर कर्नाटक में सरकार कैसे चलानी है?

यह भी पढ़ें: जॉर्ज सोरोस: NGO के जरिए देश-विदेश की सत्ता पलटने की साजिशें, आतंकियों का हितैषी

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    Jayesh Matiyal

    जयेश मटियाल पहाड़ से हैं, युवा हैं। व्यंग्य और खोजी पत्रकारिता में रूचि रखते हैं।

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