‘हिंदू राष्ट्र आचरण से बनता है, कानून से नहीं’… यह कहावत चरितार्थ होती है, अम्मा, आमची या माता अमृतानंदमयी के जीवन पर। माता अमृतानंदमयी मठ की स्थापना अम्मा ने दुखियों के जीवन में थोड़ी सी खुशहाली, थोड़ी रोशनी लाने के लिए की थी। अब इस मठ ने हरियाणा में देश के सबसे बड़े मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल का निर्माण किया है, जिसका उद्घाटन PM मोदी ने 24 अगस्त को किया है।
अस्पताल की विशेषताएँ
अमृता अस्पताल का निर्माण 130 एकड़ में 6000 करोड़ रुपए की लागत से किया गया है, जिसमें 8 सेंटर्स ऑफ एक्सीलेंस औऱ 81 तरह की स्पेशियलिटी सुविधाएँ मौजूद हैं। 2600 बेड के इस अस्पताल में ऑन्कोलॉजी, कार्डियक साइंस, गैस्ट्रो साइंसेज, रीनल साइंस, न्यूरो, हड्डी रोग, ट्रांसप्लांट औऱ जच्चा-बच्चा से जुड़ी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
हॉस्पिटल में होटल, मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज और रोगियों के लिए हेलीपैड की भी सुविधा भी उपलब्ध करवाई गई है। हॉस्पिटल में 498 कमरों का एक गेस्टहाउस भी बनाया गया है, जो रोगियों के परिवारजनों के काम आएगा। 7 फ्लोर के इस हॉस्पिटल में एक पूरा फ्लोर माँ औऱ बच्चों की देखभाल से संबंधित है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर कहा, “अम्मा के प्रति पूरे विश्व का श्रद्धाभाव है, लेकिन मैं भाग्यवान व्यक्ति हूँ कि पिछले कितने ही दशकों से मुझे अम्मा का आशीर्वाद अविरत मिलता रहा है। मैंने उनके सरल मन और मातृभूमि के प्रति विशाल प्रेम को महसूस किया है। इसलिए मैं यह कह सकता हूँ कि जिस देश में ऐसी उदार और आध्यात्मिक सत्ता हो उसका उत्थान सुनिश्चित है”।
अम्मा की इस भावभीनी प्रशंसा के पीछे कारण हैं। वह सनातन आदर्शों का जीवंत उदाहरण है, जिन्होंने 1981 में अपने मठ की स्थापना की थी। अम्मा को स्वच्छ भारत अभियान में उनके योगदान के लिए पीएम द्वारा सम्मानित भी किया गया था। साथ ही, 1993 में शिकागो में आयोजित हिंदू धर्म संसद द्वारा ‘प्रेसिडेंट ऑफ़ द हिन्दू फेथ’ का खिताब से भी नवाजी गई हैं।
अम्मा अमृतानंदमयी
‘गले लगाने वाले संत’ के रूप में प्रसिद्ध अम्मा ने अपना संपूर्ण जीवन कृष्ण भक्ति और बेसहारों की सेवा को समर्पित कर दिया। उन्हीं के द्वारा स्थापित की गई माता अमृतानंदनयी मठ की 40 देशों में शाखाएँ हैं, जो स्थानीय लोगों की मदद के लिए कार्य करती हैं।
माता का जन्म 27 सितबंर, 1953 को केरल राज्य के कोल्लम जिले के गाँव परायाकदवु में हुआ था। जन्म के समय उनका नाम सुधामणि था और जन्म से ही असाधारण रही। ऐसा कहा जाता है कि अन्य बच्चों से इतर माता आनंदमयी के चेहरे पर बचपन से दिव्य मुस्कान दिखाई देती थी। तीन साल की अवस्था से ही वह भक्ति गीत गाती थीं और जैसे-जैसे उम्र भी बढ़ी अध्यात्म की तरफ आकर्षण बढ़ता गया।
अपनी माता के बीमार होने के बाद घर की जिम्मेदारियाँ संभाली और सभी काम करते हुए भी सिर्फ श्री कृष्ण के विचारों में मग्न रहती थीं। आजीविका के लिए काम करते समय उन्हें समाज की दरिद्रता का एहसास हुआ तो वह ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँच कर मदद माँगने लगी, जो कुछ मिला उसे दान करने लगीं।
शारीरिक रूप से उन लोगों की सेवा करने लगी, जिनकी मदद करने के लिए कोई उपस्थित नहीं था। माता-पिता ने शादी करने की कोशिश की लेकिन, सुधामणि ने अपनी नई राह चुन ली थी। उनके निर्णय से उनके माता-पिता प्रसन्न नहीं थे, लेकिन वह अपनी बात पर मजबूत रहीं।
माता अमृतानंदमयी मठ
माता अमृतानंदमयी मठ (एमएएम) आध्यात्मिक और भौतिक उत्थान के लिए बनाया गया अंतरराष्ट्रीय धर्मार्थ संगठन है। ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहाँ अम्मा के कार्यकर्ता लोगों का जीवन सरल नहीं बना रहे हैं। मठ ने 1997 में अमृता कुटेरम कार्यक्रम के तहत 25,000 घर बनाने की योजना बनाई और 2002 में प्रारंभिक लक्ष्य को पूरा करके अभियान जारी रखा।
एमएएम ने देश में करीब 10 मिलियन गरीबों के लिए भोजन उपलब्ध करवा रहा है। वहीं 1987 में शुरू किए गए मदर्स किचन के तहत एम्ब्रेसिंग द वर्ल्ड फीड उत्तरी अमेरिका में 1,50,000 लोगों को भोजन उपलब्ध करवा रहा है। इसी तरह मैक्सिको, कोस्टा रिका, फ्रांस, स्पेन, केन्या में फीड-द-भूखे कार्यक्रम के जरिए गरीबों की मदद की जा रही है।
1998 से अबतक मठ ने पूरे देश में 47,000 से ज्यादा घर बनाकर बेघरों को छत प्रदान की है। मठ देश ही नहीं विदेश में भी अनाथ बच्चों के रहवास का ध्यान रखता है। 1998 में मठ ने अमृता निधि नामक कार्यक्रम की शुरूआत की थी, जिसमें निराश्रित विधवाओं, दिव्यांगजन को आजीवन पेंशन उपलब्ध करवाई जाती है। आजीविका ही नहीं, मठ ने शिक्षा और आपदा राहत में भी अपना योगदान दिया है।
स्वच्छता के क्षेत्र में भी एमएएम पीछे नहीं है। 2012 से मठ ने पम्पा नदी और सबरीमाला मंदिर तीर्थ स्थल की सफाई का एक वार्षिक कार्यक्रम भी चला रहा है। साथ ही, मठ ने 2015 में गंगा नदी के किनारे बसे गरीब परिवारों के लिए शौचालय निर्माण के लिए भारत सरकार को 15 USD डॉलर का दान भी दिया है। इसी वर्ष मठ ने केरल में शौचालय निर्माण के लिए और 15 USD डॉलर का योगदान दिया था।
स्वास्थ्य क्षेत्र में यह पहली बार नहीं है, जब माता अमृतानंदमयी मठ ने अस्पताल का निर्माण किया हो। 1998 से मठ कोच्ची में 1100 बेड के अस्पताल का प्रबंधन करता है और देश के कई स्थानों पर मुफ्त स्वास्थय क्लीनिक, दवा औषधालाएं और धर्मशालाएं भी चलाता है। मठ शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी, आपदा, भूख से लड़ रहा है साथ ही बच्चों को आसान शब्दों में वेदों के ज्ञान का प्रसारण भी कर रहा है।