पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान अपने सत्ता से हटने का आरोप लगातार अमेरिका और सेना पर लगाते आए हैं। इमरान कहते आए हैं कि उन्हें इसलिए सत्ता से हटाया गया क्योंकि वह पाकिस्तान की कूटनीति को स्वतंत्र रूप से चलाना चाहते थे और अमेरिका तथा यूरोप के कहने पर रूस की आलोचना नहीं कर रहे थे।
इमरान खान बीते वर्ष फरवरी के बाद से ही लगातार अपनी रैलियों में यह ऐलान कर रहे थे कि उनको सत्ता से हटाने के लिए अमेरिका से एक पत्र भेजा गया है। अब एक अमेरिकी समाचार वेबसाइट ‘द इंटरसेप्ट’ ने यह दावा किया है कि उसने इस कूटनीतिक पत्र में लिखी गई बातों को हासिल किया है, उसने इसे प्रकाशित भी किया है।
यह पत्र इमरान खान की सरकार के दौरान अमेरिका में स्थित पाकिस्तानी राजदूत असद मजीद खान द्वारा भेजा गया था। पत्र में उनके और अमेरिका के विदेश मंत्रालय के लिए दक्षिण एशियाई मामलों को देखने वाले डोनाल्ड लू के बीच बातचीत पर आधारित था। इस पत्र में बैठक में शामिल हुए अमेरिकी और पाकिस्तानी अधिकारियों की बातचीत का हवाला दिया गया है।
द इंटरसेप्ट ने यह दावा किया है कि उसके इस पत्र में लिखी गई बातों की जानकारी सेना में स्थित किसी व्यक्ति से हुई है। पत्र के अनुसार, डोनाल्ड और असद के बीच हुई बैठक में डोनाल्ड ने यह मुद्दा उठाया कि अमेरिका इमरान खान द्वारा यूक्रेन-रूस पर अपनाए गए रुख से संतुष्ट नहीं है। डोनाल्ड ने कहा कि यूरोप और अमेरिका में लोगों को यह देख कर आश्चर्य हो रहा है कि आखिर पाकिस्तान इस स्थिति पर इतना तटस्थ रवैया क्यों अपना रहा है? उन्होंने यह भी इशारा किया था कि अमेरिका को लगता है कि यह इमरान खान की नीति है।
डोनाल्ड ने यह भी कहा कि यदि आगामी दिनों में यदि विपक्षी दल इमरान खान के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव में सफल हो जाते हैं तो अमेरिका पाकिस्तान से हुई नाराजगी को कम कर लेगा। इस बात ने यह सीधा इशारा किया कि अमेरिका भी चाह रहा था कि इमरान खान सत्ता से हट जाएं। इमरान खान ने इस बैठक के एक दिन पहले ही अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा था कि हम अमेरिका या यूरोप के गुलाम नहीं बन सकते। उन्होंने इस दौरान कई बार भारत की स्वतंत्र विदेश नीति का भी हवाला दिया था।
दरअसल, अमेरिका इमरान खान के यूक्रेन पर रुख को लेकर इसलिए नाराज था क्योंकि जब युद्ध चालू हुआ था तो उसी दिन इमरान ने पुतिन से मुलाकात की थी। इसके पश्चात उन्होने युद्ध में शांति को लेकर भी कोई बात नहीं कही। इमरान खान इसके बाद रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदने को लेकर भी बयान देते रहे थे। इन सभी बातों को अमेरिका ऐसे देखता था कि इमरान खान उसके विरुद्ध जा रहे हैं।
इमरान के इस रुख से पाकिस्तान की सेना, जो कि परम्परागत रूप से अमेरिका समर्थक रही है, वह भी असहज महसूस कर रही थी। उसी ने अमेरिका से सम्बन्ध सुधारने के लिए अंदर ही अंदर इमरान खान को समर्थन देना भी छोड़ दिया था और उन्हें सत्ता से हटाने की भी तैयारी भी कर रह रही थी। इमरान खान को इसी के चलते अप्रैल 2022 में सत्ता से हटना पड़ा था क्योंकि उन्हें समर्थन दे रही कुछ पार्टियों ने उनसे किनारा कर लिया था और विपक्षी दल पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज ने आपस में गठबंधन कर लिया था जिसमें अन्य कई छोटे दल भी शामिल थे।
बैठक के बाद पाकिस्तान भेजे गए इस पत्र में राजदूत असद ने बताया था कि यदि इमरान खान सत्ता से बाहर हो जाते हैं तो अमेरिका-पाकिस्तान के सम्बन्ध पुनः सामान्य हो जाएंगे। अमेरिका और पाकिस्तान के विदेश मंत्रालयों ने इस पत्र की पुष्टि करने से मना किया है। जहाँ पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह किसी भी प्रकार की लीक के आधार पर टिप्पणी नहीं कर सकते वहीं अमेरिका विदेश मंत्रालय ने यह कहा कि इस पत्र में ऐसा कुछ नहीं है जो यह दिखाता हो कि अमेरिका इस बात में रूचि रखता है कि पाकिस्तान का प्रधानमंत्री कौन हो?
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को बीते वर्ष सत्ता से हटाने के बाद शहबाज शरीफ की सरकार ने उनके खिलाफ कई मामलों में कार्रवाई तेज कर दी थी। इसी के परिणाम में मई 2023 में ही उन्हें कोर्ट से गिरफ्तार कर लिया गया था जिसके कारण देश भर में भारी हिंसा हुई थी और पाकिस्तान की सेना के खिलाफ भी लोग उतर आए थे। हालाँकि, सेना और सरकार ने इस विरोध का पूरी तरह दमन करके इमरान खान को तब छोड़ दिया था लेकिन अब एक और तोशाखाना मामले में इमरान को दोषी करार देकर गिरफ्तार कर लिया गया है।
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