गुजरात के अम्बाजी और सोमनाथ मंदिरों द्वारा अपना सोना गोल्ड मोनेटाईजेशन स्कीम के तहत देश के बैंकों में जमा करने के समाचार पर फेक खबरों का बाजार गरम हो गया है। जहाँ मंदिरों ने सोना अतिरिक्त कमाई के लिए बैंकों में जमा किया है तो वहीं फर्जी खबरें फैलाने वाले इसे इस तरह प्रचारित कर रहे हैं कि मंदिरों का सोना गिरवीं रखा जा रहा है और यह हिन्दुओं के विरुद्ध किया गया कार्य है।
कई ट्विटर हैंडल द्वारा यह दावा किया गया है कि हिन्दू मंदिरों की स्वायत्तता पर सरकार कब्ज़ा करके उनके सोने को अपने पास रख रही है जबकि इस पूरी कहानी का सच कुछ और है। दरअसल, दोनों मंदिरों ने बीते दिनों सरकार द्वारा वर्ष 2015 में प्रारम्भ की गई गोल्ड मोनेटाईजेशन स्कीम के तहत सोना बैंकों के पास जमा किया है। यह सोना इन मंदिरों को दान के माध्यम से मिला था और इनके कोषागार में जमा था।
गुजरात के बनासकांठा जिले में स्थित अम्बाजी और सोमनाथ जिले में स्थित सोमनाथ मंदिर ने इस बार 200 किलो सोना गोल्ड मोनेटाईजेशन स्कीम के अंतर्गत बैंकों में रखा है। अम्बाजी मंदिर ने 168 किलो सोना पहले भी अलग अलग मौकों पर जमा किया था। इसके अतिरिक्त, अम्बाजी मंदिर ने 140 किलो सोने का उपयोग मंदिर के सौन्दर्यीकरण में भी किया है। सोमनाथ मंदिर ने भी दान में मिले सोने का उपयोग सौन्दर्यीकरण और 6 किलो सोने को जमा किया गया है।
सोने को अपने कोषागार में रखने के बजाय इसे बैंकों के पास जमा करने से इस पर २.२5%-२.5% की ब्याज दर से ब्याज मिलेगा जो कि इनकी अतिरिक्त कमाई में बढ़त करेगा। इस कमाई से मंदिर के अन्य कार्य भी कराए जाएंगे जबकि मंदिरों का सोना पूरी तरह से सुरक्षित रहेगा और निश्चित अवधि पर मंदिर इसे वापस भी ले सकते हैं।
ऐसे में मंदिरों का सोना गिरवी रखने जाने की बात पूरी तरह निराधार है। वहीं, ट्विटर पर एक दावा सोने को गलाने के बारे में किया गया है कि मंदिर के गर्भगृह में लगाया जाने वाले सोने को गला दिया गया है। इस विषय में अम्बाजी मंदिर के अधिकारी का कहना है कि दान में आने वाला सोना शुद्ध नहीं होता है इसीलिए उपयोग ना होने वाले सोने को अहमदाबाद स्थित लैब में भेजकर गलाया जाता है और इसे सिल्लियों के रूप में बदला जाता है।
अम्बाजी मंदिर के अधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया कि इस संबध में पूरा निर्णय मंदिर के ट्रस्ट का होता है और इसमें सरकार का दखल नहीं है। पहले भी मंदिर सोना बैंकों में जमा कर चुका है और इससे उसे निश्चित आय भी होती रही है। ऐसे में मंदिर का सोना गिरवीं रखने और गर्भगृह का सोना गलाने के दावे गलत हैं।
गौरतलब है कि अम्बाजी मंदिर हिन्दू धर्म की प्रमुख देवी शक्तिपीठों में से एक है जहाँ प्रत्येक वर्ष लाखों श्रृद्धालु पहुँचते हैं और सोमनाथ हिन्दू धर्म के 12 ज्योतिर्लिगों में से एक है और इस पर कई बार आक्रान्ताओं का आक्रमण हो चुका है। सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण भारत की आजादी के समय कराया गया था और इसमें प्रत्येक वर्ष भारी मात्रा में दान आता है।
यह भी पढ़ें: केदारनाथ: सोने को पीतल से बदलने वाली खबर का समिति ने किया खंडन, ‘कांग्रेस समर्थकों’ ने फैलाया झूठ