सनातन धर्म पर उदयनिधि स्टालिन द्वारा की गयी टिप्पणी पर चर्चा जारी है।समाज द्वारा इसका विरोध भी हो रहा है और विपक्षी दलों के इंडि गठबंधन से सनातन उन्मूलन के समर्थन में स्वर उठ रहे हैं। हालाँकि इंडि गठबंधन का उद्देश्य डीएमके सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री के.पोनमुडी के बयान से स्पष्ट हो रहा है। उन्होंने कहा है, “इंडि गठबंधन सनातन धर्म से लड़ाई लड़ने के लिए बनाया गया है”। इस बात की पुष्टि इस गठबंधन में शामिल नेताओं के बयानों और कार्यों से भी होती है।
हिन्दुओं को लेकर कांग्रेस की मानसिकता
सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस जिसके संभावित प्रधानमंत्री उम्मीदवार राहुल गाँधी ही रहे हैं। राहुल गाँधी का तो मानना है कि जो लोग मंदिर जाते हैं, वही लड़कियों को छेड़ते हैं हालाँकि स्वयं वे और उनकी बहन चुनावों में मंदिर यात्रा पर ही होते हैं।
इस दौरान वे उपनिषदों की व्याख्या करने से भी नहीं चूकते हैं, राहुल गाँधी कहते हैं कि शिव जी पूरे संसार को निगल लेते थे। राहुल गाँधी ने ऐसा कहाँ पढ़ा, यह वही बता सकते हैं। हो सकता ऐसा उन्हें किसी पादरी ने बताया हो, शायद वही हिन्दू विरोधी पादरी जिनसे मुलाकात कर राहुल गाँधी ने भारत जोड़ो यात्रा शुरू की थी और इसके बाद केरल में गाय काटने वाले कांग्रेस कार्यकर्ता के साथ पैदल चले।
भारत के विभाजन के लिए जिम्मेदार मुस्लिम लीग राहुल गाँधी के लिए सेक्युलर है। हिन्दू और हिंदुत्व को अलग-अलग बताना सनातन के खिलाफ राहुल गाँधी के सबसे खतरनाक प्रयासों में से एक रहा है।
ऐसे ही प्रयास करने के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे ने वर्ष 2019 में कहा था कि अगर मोदी जीत गए तो देश में सनातन धर्म ताकतवर हो जाएगा, इसका अर्थ क्या ये नहीं है कि खड़गे की लड़ाई सनातन से ही थी, है और रहेगी?
इसी लड़ाई के चलते कर्नाटक चुनाव में खड़गे बजरंग दल और आतंकवादी संगठन पीएफआई को एक तराजू में रख रहे थे।
ज्ञात हो कि आतंकवादी संगठन सिमी पर जब 2006 में प्रतिबंध लगाया गया तो पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) अस्तित्व में आया। पीएम मोदी भी इस संगठन के निशाने पर थे आतंकी फंडिंग व अन्य अवैध गतिविधियों में शामिल पाए जाने के बाद कट्टरपंथी इस्लामी संगठन को पिछले वर्ष भारत में प्रतिबंधित कर दिया गया था। हालाँकि बदले हुए नाम (एसडीपीआई) से यह कर्नाटक की राजनीति में सक्रिय है। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि प्रतिबंधित आंतकी संगठन की इस शाखा से कांग्रेस पार्टी ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में गठबंधन किया था।
एक ओर कांग्रेस पार्टी ने पीएफआई की तुलना बजरंग दल से की और दूसरी ओर कांग्रेस ने पीएफआई से गठबंधन भी किया। क्योंकि वे जानते थे कि गठबंधन की जानकारी भले ही सार्वजनिक नहीं होगी लेकिन उनके बजरंग दल वाले बयान से एक विशेष वोट बैंक तो उनके पक्ष में आ ही जाएगा। ऐसे ही वोट बैंक की राजनीति की सबसे बड़ी खिलाड़ी ममता बनर्जी हैं।
हिन्दू विरोधी ममता बनर्जी
ममता बनर्जी की हिन्दुओं से नफरत किसी से छिपी नहीं है। ममता बनर्जी हिंदुओं को त्योहारों पर ‘मुस्लिम एरिया’ से बचने की हिदायत देती हैं। ईद पर दो दिन की छुट्टी दी जाती है लेकिन रामनवमी पर कोई छुट्टी नहीं। काली मां की मूर्ति को जलाने पर कोई कार्रवाई इसलिए नहीं होती क्योंकि स्वयं ममता बनर्जी की सांसद महुआ मोइत्रा माँ काली पर अभद्र टिप्पणी करती हैं। मंदिरों में पूजा करने पर पिटाई कर दी जाती है। ‘द केरला स्टोरी’ जैसी फिल्म सिर्फ इसलिए बैन कर दी जाती है क्योंकि वह हिन्दुओं के साथ हो रहे अत्याचार को उजागर करती है। पश्चिम बंगाल में चुनाव तो सिर्फ हिन्दुओं के खिलाफ भीषण हिंसा करने का एक मौका बन चुका है। स्थिति ये है कि पश्चिम बंगाल में ‘जय श्री राम’ बोलने से पहले अनुमति मांगे जाने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
नीतीश कुमार भी इसी राह पर..
बंगाल की तर्ज पर अब बिहार में भी यही हो रहा है जहाँ इंडि गठबंधन के नेता नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं। हिन्दुओं का शोभायात्रा निकालना लगभग असम्भव हो चुका है।शोभायात्रा पर पत्थरबाजी होती है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं। कार्रवाई कैसे होगी जब राज्य के शिक्षामंत्री ही रामचरितमानस को गालियां देते हैं।इस हिन्दू विरोधी स्टैंड से ही नीतीश सरकार ने नए दोस्त हासिल किये हैं।
हाल के दिनों में तमिलनाडु की स्टालिन सरकार और बिहार की नीतीश सरकार के बीच नजदीकियां बढ़ने का एक बड़ा कारण दोनों का हिन्दू विरोधी स्टैंड रहा है।
दरअसल, हिन्दू विरोधी राजनीति का एक लाभ ये होता है कि हिन्दू वोटर्स के नाराज होने की संभावना कम रहती है लेकिन गैर हिन्दू वोटर्स का ध्रुवीकरण हो जाता है। दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल ने भी यही रणनीति अपनाई।
अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी
अरविन्द केजरीवाल का यादगार ट्वीट है जिसमें एक प्रतीकात्मक चित्र में झाड़ू लिया हुआ व्यक्ति ‘स्वास्तिक’ चिह्न को खदेड़ कर भगा रहा है। उन्होंने तब ही अपना उद्देश्य स्पष्ट कर दिया था। कोई भी अपराध घटित होता है तो केजरीवाल तुरंत कहते हैं कि हमारे कौन से ग्रंथ में लिखा है मुसलमानों को मारो? गीता में? रामायण में? हनुमान चालिसा में? लेकिन अपराधी जब गैर हिन्दू हो तब केजरीवाल चुप्पी साध लेते हैं।
जो गोपाल इटालिया कहते हैं कि आम आदमी मेहनत करके खाता है लेकिन पुजारी, कथावाचक, लोगों को भविष्य बताने वाले लोग बैठे-बैठे लोगों को ठगते हैं, उनको आम आदमी पार्टी गुजरात का प्रदेश अध्यक्ष बना देती है। दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री और आम आदमी पार्टी के विधायक राजेंद्र पाल गौतम लोगों को शपथ दिलाते हैं कि हिंदू देवी देवताओं की पूजा नहीं करेंगे और ना ही उन्हें ईश्वर मानेंगे। इस शपथ का क्रियान्वयन दिल्ली सरकार हिन्दू त्योहारों जैसे दिवाली पर पटाखे पर बैन लगा कर करती है।
राहुल गाँधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, ममता बनर्जी, नीतीश कुमार एवं अरविन्द केजरीवाल। सनातन को ख़त्म करने का उद्देश्य रखने वाले दल एवं नेताओं की यह सूची बहुत लम्बी है। अब ये सभी दल इसलिए एकजुट होकर गठबंधन भी बना चुके हैं।
दक्षिण भारत में फिर से किया जा रहा ‘प्रयोग’
इस गठबंधन में कांग्रेस के बाद सबसे बड़ी पार्टी डीएमके है। वर्तमान में तमिलनाडु में इसी पार्टी की सरकार है। उदयनिधि स्टालिन इसी सरकार में मंत्री हैं। सनातन धर्म को मिटाने का आवाह्न करने वाले उदयनिधि स्टालिन कोई मामूली कार्यकर्ता नहीं है बल्कि मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन के बेटे हैं और पूर्व मुख्यमंत्री करूणानिधि के पोते हैं।
उदयनिधि स्टालिन ने ये बयान अति उत्साह में आकर या अनजाने में नहीं दिया बल्कि यह बयान सोच समझकर एक कागज़ पर पहले से तैयार किया गया था। इसलिए वह कहते हैं कि वे भविष्य में भी इस मुद्दे पर बोलना जारी रखेंगे।
उदयनिधि अपनी पार्टी की राजनीति से अच्छी तरह से अवगत हैं। उनकी पार्टी के निर्माण का आधार ही सनातन विरोधी रहा है। डीएमके पार्टी ई. वी. रामास्वामी यानी पेरियार के सनातन विरोधी आंदोलन से निकली हुई पार्टी है। जो आंदोलन सनातन को खत्म करने के लिए किया गया था। पेरियार खुलेआम हिन्दू धर्म ग्रन्थ जलाते थे। 1927 के एक भाषण में उन्होंने कहा, “भारत में आने के कुछ ही समय बाद ईसाइयों ने हमारे लोगों को एकजुट किया, उन्हें शिक्षा दी और खुद को हमारा स्वामी बना लिया… दूसरी हमारा धर्म, जिसे भगवान द्वारा बनाया गया और लाखों-करोड़ों साल पुराना कहा जाता है। वह मानता है कि उसके अधिकांश लोगों को अपना धर्म ग्रंथ नहीं पढ़ना चाहिए। यदि कोई इस आदेश का उल्लंघन करता है, तो धर्मग्रंथ पढ़ने वाले की जीभ काटने, सुनने वाले के कानों में सीसा पिघलाकर डालने और सीखने वालों का हृदय निकाल लेने जैसे दंड दिए जाते हैं।”
पेरियार का मानना था कि हिंदी लागू होने के बाद तमिल संस्कृति नष्ट हो जाएगी और तमिल समुदाय उत्तर भारतीयों के अधीन हो जाएगा। न कभी हिंदी लागू हुई न कभी तमिल समाज खतरे में आया।
अब उदयनिधि स्टालिन भी यही बात दोहरा रहे हैं। उदयनिधि को लगता है कि ऐसा करने से राजनीतिक रूप से वे पेरियार एवं करूणानिधि के समकक्ष दिखेंगे। उदयनिधि कहते हैं कि तमिलनाडु में पिछले 100 सालों में सनातन धर्म के खिलाफ आवाजें उठाई जाती रही हैं। हम अगले 200 साल तक इस पर बोलना जारी रखने वाले हैं।सनातन धर्म पर दिया गया उनका बयान नया नहीं है। बीआर आंबेडकर, पेरियार और एम करुणानिधि ने इस मुद्दे पर बोला है।
इंडि गठबंधन का स्पष्ट एजेंडा
उदयनिधि की इस विचारधारा का इंडि गठबंधन से कोई विरोध सामने नहीं आया। गठबंधन के सभी नेताओं ने लगभग उनका समर्थन ही किया है। जिन्होंने कुछ कहा नहीं, उन्होंने मौन रहकर समर्थन दिया है। डीएमके नेता ए राजा और पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम (सांसद) ने तो उदयनिधि के समर्थन में सनातन को और अधिक बुरा कहा है। इंडि गठबंधन के नेताओं ने उदयनिधि के इस बयान के बचाव में अपने-अपने तर्क दिए हैं।
कुल मिलाकर इस इंडी गठबंधन में अब सनातन-विरोधी होने की भी होड़ लग चुकी है। ज़्यादा प्याज़ खाने वाली कहावत आपने सुनी ही होगी। यही हाल इन मोदी विरोध में सत्ता का दिवा स्वप्न देखने वाले नेताओं का भी है। सपना सिर्फ़ यही है कि क्या पता बिल्ली के भाग्य से छींका टूटे और इसमें किसी ना किसी के हाथ कुर्सी भी लग जाए। इसका रास्ता फ़िलहाल इस गठबंधन ने सनातन को अपना शत्रु घोषित करने में देखा है। देखना ये है कि सनातन अपने शत्रु की पहचान कर पाता है या नहीं।
‘सनातन धर्म के विरोध के लिए ही बना है I.N.D.I. गठबंधन’: तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री पोनमुडी का बयान