फिल्म आदिपुरुष को दर्शकों की आलोचना के बाद अब इलाहाबाद हाईकोर्ट से फटकार मिली है। रामायण से छेड़छाड़ करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने फिल्म निर्माताओं से पूछा कि आप हिंदुओं की सहिष्णुता की परीक्षा क्यों ले रहे हैं?
दरअसल फिल्म के कई दृश्यों और उसके डायलॉग को लेकर दर्शकों को आपत्ति थी। हालांकि फिल्म मेकर्स ने फ़िल्म के रिलीज़ होने के बाद इसके कुछ डायलॉग में बदलाव भी किया है लेकिन दर्शक अभी भी इस फ़िल्म के चित्रण को लेकर नाराज़ हैं। इस फिल्म से जुड़ी एक याचिका की सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फिल्म निर्माताओं को फटकार लगाई और सेंसर बोर्ड की भूमिका पर भी प्रश्न खड़े किए। पीठ ने कहा कि सेंसर बोर्ड अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रहा है।
फिल्म निर्माताओं की ओर से कोर्ट में दलील दी गई थी कि उन्होंने फिल्म की शुरुआत में डिस्क्लेमर लगाया है कि यह फिल्म रामायण पर आधारित नहीं है। हालांकि कोर्ट ने यह दलील स्वीकार नहीं की है। जस्टिस राजेश सिंह चौहान और जस्टिस श्री प्रकाश सिंह की बेंच ने पूछा कि; फिल्मकार ने भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण और लंका दिखाया है तो मात्र डिस्क्लेमर देकर लोगों को कैसे संतुष्ट करेंगे कि कहानी रामायण से नहीं ली गई है?
इसके साथ ही कोर्ट द्वारा पुनः बुधवार को मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश देते हुए डिप्टी सॉलिसिटर जनरल को केंद्र सरकार और सेंसर बोर्ड से निर्देश प्राप्त कर यह बताने को कहा है कि वे मामले में क्या कार्रवाई कर सकते हैं। याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री का तर्क सुनने के बाद कोर्ट ने टिप्पणी की कि जिस तरह फिल्म बनाई गई है यह न केवल उन लोगों की भावनाओं को आहत करेगी जो भगवान राम, देवी सीता, भगवान हनुमान आदि की आराधना करते हैं बल्कि रामायण के पात्रों को जिस तरह से चित्रित किया है उससे समाज में वैमनस्य भी पैदा हो सकता है। कोर्ट का कहना है कि हिंदू सहिष्णु हैं लेकिन क्यों हर बार उनकी सहनशीलता की परीक्षा ली जाती है? वे सभ्य हैं तो उन्हें दबाना सही है क्या?
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कोर्ट ने इसके साथ यह भी कहा कि यह तो अच्छा है कि वर्तमान विवाद एक ऐसे धर्म के बारे में है जिसे मानने वालों ने कहीं क़ानून व्यवस्था को नुकसान नहीं पहुंचाया। हमें उनका आभारी होना चाहिए। कुछ लोग जो फिल्म के प्रदर्शन को बंद करवाने गए थे, उन्होंने सिर्फ हॉल बंद करवाया था। वे और कुछ भी कर सकते थे।
इसके साथ ही कोर्ट ने सुनवाई के दौरान फिल्म के डायलॉग लिखने वाले मनोज ‘मुंतशिर’ शुक्ला को भी नोटिस जारी किया है। मनोज मुंतशिर शुक्ला को एक हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा गया है। कोर्ट ने कहा कि फिल्म में इस्तेमाल किए गए डायलॉग्स नाराज़गी का एक बड़ा मुद्दा हैं। समाज के लिए रामायण एक मिसाल है। रामायण पूजनीय हैं। आज भी लोग श्री रामचरितमानस पढ़कर घर से निकलते हैं। ऐसे में कुछ चीजों को छूना नहीं चाहिए था।
फिल्म के संवादों पर कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि फिल्म में भगवान हनुमान, माता सीता को जिस तरह से दिखाया गया वो किसी की समझ में नहीं आ रहा। फ़िल्म निर्माताओं ने शायद विषय की गंभीरता को समझा ही नहीं था।
उल्लेखनीय है कि फिल्म आदिपुरुष में एक्टर प्रभास ने श्रीराम का, कृति सेनन ने मां सीता और सैफ अली खान ने रावण का रोल निभाया है। वहीं फिल्म के डायलॉग राइटर मनोज मुंतशिर शुक्ला ने लिखे हैं।
अदालत सामाजिक कार्यकर्ता कुलदीप तिवारी और बंदना कुमार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिनका प्रतिनिधित्व वकील रंजना अग्निहोत्री और सुधा शर्मा ने किया था।
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