रबी में गेंहू और तिलहनों की अच्छी उपज के बाद अब कृषि मंत्रालय ने फसल सीजन 2023-24 में खाद्यान्न, तिलहनों और मोटे अनाजों के रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान लगाया है। कृषि मंत्रालय का यह अनुमान ऐसे समय में आया है जब इस बार की खरीफ की फसल पर एल नीनो संकट के अनुमान लगाए जा रहे हैं।
कृषि मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली में 3 मई 2023 को आयोजित नेशनल कांफ्रेंस ऑन खरीफ कैम्पेन 2023 में केंद्र सरकार की और से अनुमान लगाया गया है कि इस बार देश में 3,320 लाख टन खाद्यान्न, 292.5 लाख टन दलहन और 440 लाख टन तिलहनों का उत्पादन होगा।
देश में रबी की कटाई अब अपने अंतिम चरण में है और गेंहू उत्पादक राज्यों की मंडियों से मिल रहे संकेतों से स्पष्ट है कि कटाई के समय हुई बेमौसम बारिश के बाद भी उपज अच्छी रही है।
सरकारी अनाज विपणन एजेंसियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, देश में अब तक लगभग 210 लाख मीट्रिक टन गेंहू की खरीद हो चुकी है। इसका अर्थ यह है कि गेंहू की फसल पर बेमौसम बारिश का कोई ख़ास असर नहीं पड़ सका है।
केंद्र सरकार द्वारा 2023-24 के लिए रखे गए लक्ष्य में मोटे अनाजों (मिलेट्स) का विशेष ध्यान रखा गया है। इस बार का लक्ष्य है कि देश में 170 लाख टन मोटे अनाजों का उत्पादन किया जाए। केंद्र सरकार द्वारा तय किया गया यह लक्ष्य पिछले पांच वर्षों में सर्वोच्च है। इससे पहले 2022-23 के लिए 3230 लाख टन खाद्यान्नों के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया था।
केंद्र सरकार द्वारा रखे गए यह लक्ष्य भारत में मानसून सीजन पर अल नीनो के खतरे के बीच आए हैं। सरकारी मौसम अनुमान एजेंसी के अनुसार, इस वर्ष देश में मानसून जहा सामान्य रहेगा, वहीं निजी मौसम एजेंसी ने चेताया है कि इस बार कुछ हिस्सों में आंशिक सूखा और कुछ हिस्सों में सूखा पड़ सकता है।
हालाँकि, मौसम का मिजाज इस बार कुछ बदला हुआ लगा रहा है और मई के पहले ही सप्ताह में बारिश हुई है, जिस प्रकार की भीषण लू और गर्म हवाओं का अंदाजा लगाया जा रहा था वह अभी कम से कम उत्तर भारत में नहीं देखा गया है। ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अनुमानित अल नीनो देश की उपज पर क्या असर डालता है।
अल नीनो को लेकर भी कई मत सामने आए हैं, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार सूखा 2002 और 2009 जैसा भयानक हो सकता है। गौरतलब है कि इन दो वर्षों में देश में भयानक सूखा पड़ा था और 2008 में देश को बाहर से भी खाद्यान्न आयात करने पड़े थे।
वर्ष 2002 के सूखे के दौरान देश में धान की उपज में लगभग 23% की गिरावट देखी गई थी। दूसरी तरफ सरकारी मौसम एजेंसी के मुखिया मृत्युंजय महापात्रा का कहना है कि वर्ष 1951 से लेकर 2022 के बीच कम से कम 15 बार एल नीनो की स्थिति आई है जिसमें 6 बार बारिश सामान्य रही है।
भारत उपज में बढ़ोतरी को निर्यात के एक मौके की तरह देखा रहा है। कॉन्फ्रेंस में कहा गया कि देश का कृषि निर्यात वर्ष 2020-21 में लगभग 41.8 बिलियन डॉलर था जो कि 2021-22 में बढ़ कर 50 बिलियन डॉलर को पार कर गया। ऐसे में बड़ी उपज से इस बार निर्यात भी बड़े हो सकते हैं।
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