चावल, गेहूं और चीनी के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद, भारत को वित्त वर्ष 2023-24 में 53 बिलियन अमेरिकी डॉलर के कृषि निर्यात का समान स्तर हासिल करने की उम्मीद है। निर्यात प्रतिबंध और अंकुश से निर्यात में 4-5 बिलियन अमेरिकी डॉलर की कमी आ सकती है। सरकार इस नुकसान की भरपाई के लिए नए उत्पादों और गंतव्यों को बढ़ावा दे रही है।
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख क्षेत्र है। भारत विश्व स्तर पर कई कृषि वस्तुओं के शीर्ष निर्यातकों में से एक है। पिछले वित्त वर्ष में भारत का कृषि निर्यात रिकॉर्ड 53 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। हालाँकि, 2023-24 में घरेलू खाद्य सुरक्षा और मुद्रास्फीति को प्रबंधित करने के लिए कुछ प्रतिबंध लगाए गए है।
सरकार ने गेहूं और गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था। घरेलू उपलब्धता बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए जून में चीनी के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगाया गया था। वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक इससे कृषि निर्यात पर 4-5 अरब अमेरिकी डॉलर का असर पड़ने की उम्मीद है।
हालाँकि, सरकार का लक्ष्य नए उत्पादों और गंतव्यों को बढ़ावा देकर पिछले साल के निर्यात स्तर 53 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचना है। समुद्री प्रोटोकॉल के विकास से केले के निर्यात को बढ़ावा दिया जा रहा है। 3 साल में केले का निर्यात 1 अरब डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य है।
समुद्री मार्गों से आम, अनार और कटहल जैसे फलों के निर्यात के लिए प्रोटोकॉल भी विकसित किए जा रहे हैं। अप्रैल-नवंबर में फलों, सब्जियों, अनाज, मांस, डेयरी और पोल्ट्री के निर्यात में वृद्धि हुई, चावल के निर्यात में 7.65% की गिरावट आई। नए निर्यात उत्पादों मे वाराणसी से हॉग प्लम, तिरुपुर से नारियल पानी, अलीगढ़ से आलू आदि शामिल हैं। वर्तमान में भारत 111 देशों को ताजे फलों की आपूर्ति करता है।
नए उत्पादों और बाजारों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न पहलों के साथ, चावल, गेहूं और चीनी जैसी प्रमुख वस्तुओं पर प्रतिबंध के बावजूद 2023-24 वित्त वर्ष के लिए 53 बिलियन अमरीकी डालर के अपने कृषि निर्यात लक्ष्य महत्वपूर्ण कदम है और सरकार इसे प्राप्त करने के लिए आश्वस्त है।