केंद्र सरकार द्वारा संसद के विशेष सत्र की घोषणा करने के बाद से ही इसके एजेंडे को लेकर शुरू हुई तनातनी आखिरकार खत्म हो गई है। सरकार ने 18 सितंबर को बुलाए गए संसद के विशेष सत्र को लेकर सर्वदलीय बैठक के बाद बुधवार (सितंबर 13, 2023) को एजेंडे के बारे में जानकारी साझा की है।
लोकसभा सचिवालय द्वारा सांसदों के लिए जारी बुलेटिन के अनुसार दोनों सदन संविधान सभा से शुरू होने वाली 75 वर्षों की संसदीय यात्रा, उपलब्धियां, अनुभव, यादें और सीख पर चर्चा करेंगे। इसके साथ ही 4 विधेयकों पर भी विचार रखे जाएंगे।
विधेयकों की बात करें तो इनमें मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक शामिल हैं, जो लोकसभा में मानसून सत्र के दौरान पेश किया गया था। इसके अलावा मानसून सत्र में राज्यसभा द्वारा पारित अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक और प्रेस और आवधिक पंजीकरण विधेयक और मानसून सत्र के दौरान राज्य सभा में पेश डाकघर विधेयक शामिल है। राज्यसभा के एजेंडे में जुलाई में लोकसभा से पारित निरसन और संशोधन विधेयक, 2023 भी सूचीबद्ध है।
जाहिर है कि मानसून सत्र के एक माह बाद ही सरकार ने विशेष सत्र की घोषणा कर दी थी। इसके बाद से विपक्षी दल इसके एजेंडे को लेकर संदेह में थे। साथ ही कई दलों द्वारा चुनाव पूर्व विशेष सत्र बुलाने पर सवाल भी उठाए जा रहे थे। वहीं अब सरकार द्वारा उल्लेखित एजेंडा विपक्ष के अनुमान के विपरित नजर आ रहा है। हालांकि राजनीतिक विश्लेषक अभी भी कुछ विशेष और ठोस कदम उठाए जाने की उम्मीद लगा रहे हैं।
समाचार पत्र ‘दी इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के अनुसार कुछ विपक्षी नेताओं ने आशंका जाहिर की है कि सरकार के पास कुछ न कुछ हो सकता है। उनका कहना है कि जो एजेंडा बताया गया है वो विशेष सत्र बुलाने के स्तर का प्रतीक नहीं लगता है।
कांग्रेस नेता जयराम नरेश का दावा है कि सरकार ने सोनिया गांधी द्वारा लिखे गए पत्र के बाद दबाव में आकर एजेंडा घोषित किया है। उनका कहना है कि जो एजेंडा बताया गया है उसमें ऐसा कुछ विशेष नहीं है। यह नवंबर के शीतकालीन सत्र में भी चर्चा के लिए रखा जा सकता था। साथ ही जयराम नरेश ने सत्र के अंत में सरकार द्वारा कुछ बड़ा कदम उठाने की आशंका जताई है।
वहीं टीएमसी नेता डेरेक ओ’ब्रायन का कहना है कि एजेंडे को लेकर सरकार कुछ ‘गंदी चाल’ अपना रही है।
हालांकि भाजपा नेताओं का कहना है कि सरकार विशेष सत्र अभी आयोजित करना चाहती थी क्योंकि संसद के शीतकालीन सत्र में आगामी विधानसभा चुनावों के कारण देरी होने की संभावना थी। साथ ही उनका कहना है कि सरकार चुनाव पूर्व पहले सदन में जी20 शिखर सम्मेलन और चंद्रयान-3 मिशन की अपनी हालिया सफलताओं को उजागर करना चाहती थी।
बता दें कि विशेष सत्र के आयोजन की घोषणा के बाद से ही इसमें महिला आरक्षण, यूसीसी, देश का नाम बदलने और कई विवादित विधेयकों के कयास लगाए जा रहे थे।
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