सितम्बर 25,2022 को प्रधानमंत्री PM मोदी की महत्वाकांक्षी योजना मेक इन इंडिया को 8 साल पूरे हो रहे हैं। इन आठ सालों में योजना ने कई आयाम छुए हैं। एक ओर इस योजना के कारण भारत में विदेशी मुद्रा निवेश दोगुना हो गया है, वहीं कई क्षेत्र जो पूरी तरह से आयात पर निर्भर थे, अब स्थानीय स्तर पर निर्माण में लगे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘मेक इन इंडिया’ योजना को 25 सितम्बर, 2014 के दिन शुरू किया गया था। इसका लक्ष्य भारत को विश्व का प्रमुख निर्माण हब और निवेश के लिए सबसे सुलभ स्थान बनाना था। इसी के साथ ‘आत्मनिर्भर भारत’ को बल देना भी इसका एक प्रमुख लक्ष्य है। इस योजना के द्वारा प्राप्त उपलब्धियां अब जमीन पर उतरती दिखाई दे रहीं हैं।
इस योजना से केवल निर्माण ही नहीं बल्कि सेवा क्षेत्र में भी काफी बढ़ोत्तरी हुई है। सरकार के द्वारा विदेशी निवेश को भारत की तरफ आकर्षित करने के लिए सरकार के द्वारा काफी उदार नीतियाँ अपनाई गईं हैं। सरकार ने कई ऐसे क्षेत्रों को भी विदेशी निवेश के लिए खोला जिनमें पहले यह अनुमति नहीं थी।
आठ साल की उपलब्धियाँ
सरकारी आँकड़ों के अनुसार इस योजना के प्रारम्भ होने के बाद से भारत में विदेशी निवेश तकरीबन दोगुना हो गया है। वर्ष 2014-15 में भारत में जहाँ विदेशी निवेश 45.15 बिलियन डॉलर था, यह वर्ष 2021-22 में बढ़कर 83.6 बिलियन डॉलर हो गया। 101 बाहरी देशों से आए इस विदेशी निवेश को 57 अलग-अलग क्षेत्रों में किया गया।
इस योजना के लागू होने के बाद कई क्षेत्रों में काफी काम हुआ है। लगातार अपनी रैलियों में प्रधानमंत्री भारत के अन्दर फोन के निर्माण की इकाइयों की बढ़ोत्तरी के बारे में बात करते आए हैं। वर्ष 2014 के पहले भारत में मात्र 2 मोबाइल निर्माणी इकाइयां थीं, आज वो बढ़ कर 200 के पार चली गईं हैं।
विश्व के कई बड़े फोन निर्माता जैसे कि सैमसंग और एप्पल ने अपना विश्वास भारत में दिखाया है। वर्ष 2018 के जुलाई महीने में उत्तर प्रदेश के नोएडा में विश्व की सबसे बड़ी सैमसंग की मोबाइल फैक्ट्री का उद्घाटन PM मोदी ने किया था।
अब विश्व की सबसे बड़ी फोन कंपनी एप्पल भारत में फोन निर्माण में रूचि दिखा रही है (एपल के फोन का निर्माण फॉक्सकान नाम की ताईवानी कंपनी करती है), कुछ ही दिन पहले यह खबर आई थी कि एप्पल अपने एक चौथाई फोन का निर्माण भारत में 2025 तक कर सकता है।
सेमीकंडक्टर पर फोकस, खिलौनों के निर्यात में बम्पर वृद्धि
सेमीकंडक्टर बहुत सी वस्तुओं के निर्माण में प्रयुक्त हो रहे हैं, स्मार्टफोन से लेकर कम्प्यूटर और कारों में इनकी आवश्यकता काफी बढ़ चुकी है। कोरोना के बाद विश्व में सेमीकंडक्टर की आपूर्ति में आई भारी कमी के बाद भारत इस क्षेत्र में विदेश पर अपनी निर्भरता करके आत्मनिर्भर होने की दिशा में बढ़ रहा है।
इसके लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है, सरकार ने सेमीकंडक्टर के भारत में निर्माण के लिए PLI (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) यानी ऐसी स्कीम जिसमें सरकार के द्वारा भारत में निर्माण करने पर अतिरिक्त फायदे दिए जाते हैं, की शुरुआत की है। सरकार ने इस क्षेत्र लिए करीब 80 हजार करोड़ की PLI स्कीम शुरू की है।
साथ ही भारत में अब विश्व की कई नामी कंपनिया भारत की कम्पनियों के साथ मिलकर सेमीकंडक्टर का निर्माण चालू करने वाली हैं, कुछ ही समय में एक ताईवानी कम्पनी भारत की नामी कम्पनी वेदांता ग्रुप के साथ मिलकर गुजरात में सेमीकंडक्टर का निर्माण करने वाली है।
सरकार के द्वारा विदेशी खिलौनों का आयात रोकने के लिए बड़े स्तर पर प्रयास किए गए हैं, वर्ष 2021-22 में विदेशी खिलौनों का आयात 70% घट चुका है। वहीं अप्रैल 2022 से अगस्त 2022 के बीच खिलौनों के निर्यात में 2013 के मुकाबले 636% की वृद्धि हुई है।
बिजनेस रैंकिंग में सुधार
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंक यानी व्यापार करने की सहूलियत वाली रैंक में भारत ने बड़ी छलांग लगाई है। भारत की रैंक वर्ष 2014 के दौरान 142 थी, साल दर साल इसमें काफी सुधार आया है। 2014 में 142 से अब यह रैंक 63 हो गई है।
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स में यह छलांग भारत में व्यापार के प्रति बनते सकारात्मक माहौल और नीतियों में स्थिरता आने का परिचायक है। साथ ही सरकार के द्वारा लगातार व्यापार के प्रति समर्थन का माहौल बनाना भी इस सुधार में काफी सहायक रहा है।