कनाडा के ओंटारियो में 19 सितंबर, 2022 खालिस्तान रेफेरेंडम आयोजित किया गया था। इस खालिस्तान रेफेरेंडम के मद्देनजर 23 सितंबर, 2022 को भारतीय सरकार ने अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की थी। इस एडवाइजरी में भारतीय नागरिकों को सावधानी बरतने की हिदायत दी गई थी।
अलगाववादी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ द्वारा आयोजित इस खालिस्तान रेफेरेंडम के पाकिस्तानी संबंध भी अब सामने आ रहे हैं।
खालिस्तान रेफेरेंडम के पाकिस्तानी संबंध
जिस दिन तथाकथित खालिस्तान रेफेरेंडम कनाडा के ओंटारियो स्थित ब्रैम्पटन शहर में आयोजित किया गया था, पाकिस्तानी जनरल कॉन्सुलेट जाँबाज़ खान ने उस दिन वैंकूवर के दो गुरुद्वारों में दौरा किया था।
खास बात यह है कि दोनों गुरुद्वारे — श्री दशमेश दरबार और गुरु नानक सिख गुरुद्वारा — खालिस्तान समर्थकों द्वारा चलाए जाते हैं। खबरों के अनुसार यह दौरा पाकिस्तानी जनरल कॉन्सुलेट ने पाकिस्तान में बाढ़ राहत के लिए दान भेजने पर पदाधिकारियों को धन्यवाद देने के लिए किया था।
गुरु नानक सिख गुरुद्वारा के अध्यक्ष हरदीप सिंह निज्जर हैं। पंजाब के एक हिंदू पुजारी की हत्या में संपलिप्तता में उसके सर पर ₹10 लाख का इनाम है और सिख कट्टरपंथ से संबंधित चार एनआईए मामलों में वांछित हैं। दशमेश दरबार मंदिर भी अलगाववादियों के तत्वों और हरदीप सिंह निज्जर के मित्रों द्वारा चलाया जाता है।
पकिस्तान पर पहले भी खालिस्तान आंदोलन को हवा देने का आरोप लगता रहा है। यूँ तो 1992 में ही खालिस्तानी विचारधारा का भारत में लगभग खात्मा हो गया था, लेकिन इसके बावजूद देश के बाहर कई खालिस्तानी समर्थक सक्रिय रहे और कनाडा इस विचारधारा को शरण देने का अड्डा बनता गया।
22 सितंबर, 2022 को भारतीय विदेश मंत्रालय ने कड़े शब्दों में खालिस्तानी रेफेरेंडम पर आपत्ति जताई। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि आप सभी इस संबंध में हिंसा के इतिहास से अवगत हैं। आगे उन्होंने इसे कट्टरपंथी तत्वों द्वारा आयोजित एक हास्यास्पद घटना करार दिया।
भारत के बढ़ते दबाव के बाद जस्टिन ट्रूडो सरकार ने बयान दिया था कि वह इस तथाकथित रेफेरेंडम को नहीं मानता और भारत की संप्रुभता का सम्मान करता है। हालांकि, इस तथ्य से सभी वाकिफ हैं कि वोटबैंक की वजह से ट्रुडो सरकार खलिस्तानी समर्थकों पर आसानी से कार्रवाई नहीं करेगी।