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Home » एडिनोवायरस की चपेट में पश्चिम बंगाल: 19 बच्चों की मृत्यु, अब तक आ चुके हैं 12000 मामले दर्ज
प्रमुख खबर

एडिनोवायरस की चपेट में पश्चिम बंगाल: 19 बच्चों की मृत्यु, अब तक आ चुके हैं 12000 मामले दर्ज

The Pamphlet StaffBy The Pamphlet StaffMarch 16, 2023No Comments5 Mins Read
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एडिनोवायरस अलर्ट
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पश्चिम बंगाल में सांस के जरिए फैलने वाले संक्रमण से देश में एक बार फिर वायरस जनित बिमारियों की चिंता बढ़ गई है। पश्चिम बंगाल में बीते कुछ माह से वायरस के चलते बच्चों की मृत्यु की घटनायें सामने आ रही हैं। तीव्र श्वसन संक्रमण (ARI) 2 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए घातक सिद्ध हो रहा है। यह बीमारी अभिभावकों और स्वास्थ्य विभाग के लिए चिंता का विषय बन गई है।

कर्नाटक और महाराष्ट्र में मामले के सामने आने के साथ ही पश्चिम बंगाल में एडिनोवायरस से कई बच्चों का निधन हो गया है। अलग-अलग श्वसन संक्रमण ने न केवल लोगों की चिंताओं को बढ़ा दिया है बल्कि यह माता-पिता के लिए परेशानी का कारण बन गया है।

रिपोर्ट्स के अनुसार इस वर्ष पश्चिम बंगाल में 19 बच्चों की मौत एडिनोवायरस से हो चुकी है। वहीं हजारों बच्चे अस्पताल में भर्ती हैं। जनवरी, 2023 से एडिनोवायरस से अब तक 12,000 मामले पश्चिम बंगाल में सामने आए हैं। 3,000 बच्चे फ्लू जैसे लक्षणों के साथ अस्पतालों में भर्ती किए गए हैं।

स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार संक्रमण के मामले और इससे होने वाली मौत का आंकड़ा सरकारी आंकड़ों से अधिक हो सकता है। स्थानीय मीडिया द्वारा 100 से अधिक बच्चों की मौत की रिपोर्टिंग की बात सामने आई है। वायरस का प्रभाव बढ़ने से राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है। कई जगह बेड की कमी के कारण बच्चों को एक ही बेड पर इलाज दिया जा रहा है।

नई तकनीक से डिजिटल भारत में लॉजिस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर का आधुनिकीकरण

स्थानीय प्रशासन द्वारा हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं। साथ ही कोविड-19 के दौरान अपनाए गए स्वास्थ्य मानक जिनमें मास्क लगाना और सोशल डिस्टेंसिंग शामिल है, फिर से लागू कर दिए गए हैं ताकि संक्रमण को रोका जा सके। स्वास्थ्य विभाग में कर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। हालाँकि अभी तक राज्य में विद्यालयों को बंद नहीं किया गया है।

वहीं, रविवार (12 मार्च, 2023) को ममता बनर्जी सरकार द्वारा मामलों और उपचार की निगरानी के लिए आठ सदस्यीय कार्यबल का गठन किया गया है। चिकित्सकों का यह भी मानना है कि छोटे बच्चों में संक्रमण की अधिक मात्रा का एक कारण यह है कि वे कोविड लॉकडाउन के दौरान आम संक्रमणों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बनाने में सक्षम नहीं थे।

एडिनोवायरस या फ़्लू?

पश्चिम बंगाल में सामने आ रहे मामलों में ARI और एडिनोवायरस को जिम्मेदार ठहराया गया है। साथ ही राज्य में पिछले कुछ दिनों में ही बच्चों की बड़ी संख्या में मौत ने प्रशासन को सकते में डाल दिया है। वहीं, चिकित्सकों द्वारा एक औऱ श्वसन संबंधित वायरस के कारण मरीजों की संख्या में हो रहे इजाफे की ओर ध्यान आकर्षित किया है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को संज्ञान में लेकर जारी की गई एक रिपोर्ट में इन्फ्लुएंजा ए सबटाइप H3N2 वायरस के फैलने की बात सामने आई है।

एडिनोवायरस एवं इंफ्लुएंजा, दोनों ही वायरल श्वसन संक्रमण से संबंधित होते हुए भी एक दूसरे से अलग हैं। एडिनोवायरस के संक्रमण के बाद सामान्य सर्दी, ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसे लक्षण सामने आ सकते हैं। एडिनोवायरस के संक्रमण के बाद ही गुलाबी आंख, बुखार, खांसी, नाक बहना, और अन्य लक्षण देखे जा सकते हैं। वायरस से संक्रमित होने पर कमजोर इम्यूनिटी वाले व्यक्तियों के गंभीर बिमारियों का शिकार होने का खतरा बढ़ जाता है।

वहीं इसके विपरीत इंफ्लुएंजा या फ्लू एक श्वसन संक्रमण है जो किसी इंफ्लुएंजा वायरस के जरिए फैलता है। साथ ही फ्लू अत्याधिक संक्रामक होता है जो इससे प्रभावित व्यक्ति के संपर्क में आने के साथ ही फैल सकता है। सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की मानें तो थकान, बुखार, गले में खराश, खांसी के साथ खून आना, मांसपेशियों में दर्द के साथ फ्लू सामने आ सकता है। कुछ मामलों में तो फ्लू के कारण निमोनिया, ब्रोंकाइटिस और मौत जैसे गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं। 

दोनों के बीच जो सबसे बड़ा अंतर है वो यह है कि फ्लू, एडिनोवायरस से अधिक खतरनाक एवं घातक हो सकता है। जबकि फिलहाल फ्लू के लिए स्वास्थ्य कर्मियों के पास वैक्सीन उपलब्ध है पर एडिनोवायरस के लिए नहीं। एडिनोवायरस एवं अन्य वायरस से रक्षा के लिए चिकित्सक निवारक कदम उठाने एवं स्वच्छता मानकों को ध्यान रखने की सलाह दे रहे हैं।

पश्चिम बंगाल में वायरस फैलने की खबरों के बीच एसोसिएशन ऑफ हेल्थ सर्विस डॉक्टर्स के महासचिव डॉ मानस गुमटा ने ममता बनर्जी सरकार पर वायरस से हो रही मौतों का आंकड़ा कम बताने का आरोप लगाया है। डॉ. गुमटा के अनुसार संक्रमण को रोकने के लिए राज्य सरकार की तैयारियां पर्याप्त नहीं है। टीएमसी सरकार ने कोविड महामारी के बाद भी कोई सबक नहीं सिखा है।

नए सम्बंधित आंकड़े और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का जायजा  

उन्होंने कहा कि कोविड के समय भी सरकार की तैयारियों में कमी रही जिसके कारण कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। महामारी के समय भी ऑक्सीजन का संकट रहा, एंबुलेंस व्यवस्था चरमरा गई, दवाईयां एवं क्रिटिकल केयर यूनिट वार्ड की भी कमी आ गई थी। 

एक समस्या यह भी है कि कोविड महामारी के दौरान संक्रमण से निपटने के लिए वयस्क आईसीयू सेवाओं को विकसित किया गया था। पर बाल चिकित्सा सुविधाओं पर अधिक ध्यान नहीं दिया गया। वर्तमान में प्रदेश के अधिकांश निजी अस्पतालों में वयस्क गहन देखभाल इकाइयां तो हैं पर बाल चिकित्सा आईसीयू की उपलब्धता नहीं है।

हालाँकि वायरस को रोकने में और प्रतिकूल प्रतिक्रिया देने में ममता बनर्जी सरकार असफल रही है। फिर भी इस बात की संभावनाएं कम ही है कि यह संक्रमण कोविड-19 जितना प्रभाव डाल सकेंगे। पिछले 2 वर्षों में केंद्र औऱ राज्य स्तर पर बुनियादी स्वास्थय सुविधाओं में बढ़ोत्तरी हुई है। कोविड महामारी के बाद से महत्वपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल इकाइयों में बढ़ोत्तरी की गई है

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