कॉन्ग्रेस नेता राहुल गांधी गौतम अड़ानी और एयरपोर्ट वाले मामले को लगातार उठा रहे हैं। संसद के बजट सत्र के दौरान उनके इसी मुद्दे पर किए गए दावों की सच्चाई सामने आने के बाद भी वह रुक नहीं रहे।
राहुल गांधी ने 20 फरवरी को अपने यूट्यूब चैनल पर ‘मित्र काल’ नाम से एक वीडियो अपलोड किया है जहां उन्होंने फिर से मोदी सरकार के ऊपर अडानी को एयरपोर्ट बिजनेस में एंट्री के लिए फेवर देने या मदद करने के आरोप लगाए।
राहुल गांधी ने अपने विडियो में कहा है कि सरकार ने नियम बदल कर के नए प्लेयर्स को भी PPP मॉडल के तहत एयरपोर्ट ऑपरेशन में आने का प्रबंध किया जबकि पहले यह केवल एक्सपीरियंस वाली कम्पनियों के लिए ही था। साथ ही, उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने फरवरी 2019 में देश के 6 एयरपोर्ट के ऑपरेशन अड़ानी को दे दिए।
क्या है वास्तविकता
इसका सच यह है कि जिस PPP मॉडल की राहुल गांधी बात कर रहे हैं उसकी शुरुआत कॉन्ग्रेस ने ही की थी। यूपीए के पहले कार्यकाल के समय वर्ष 2005 से 2006 के बीच देश के दो सबसे बड़े एयरपोर्ट, मुंबई और दिल्ली को इसी मॉडल के तहत प्राइवेट कम्पनियों को दिया गया था, दिल्ली एयरपोर्ट GMR को और मुंबई एयरपोर्ट GVK को।
यानी जब एविएशन सेक्टर को प्राइवेट क्षेत्र के लिए खोला गया तो उसमें बिड करने वाली दोनों कम्पनियां नई थी और इन्होंने एयरपोर्ट हासिल भी किये और यह सब करने वाली कॉन्ग्रेस ही थी।
इसके अलावा, ‘नियम बदलने’ की बात को लेकर भी कुछ तथ्य हैं।
भारत में PPP मॉडल के जनक कहे जाने वाले पूर्व आईएएस ऑफिसर और तत्कालीन योजना आयोग के सदस्य गजेन्द्र हल्दिया के हवाले से लोकसभा में सासंद निशिकांत दुबे यह बता चुके हैं कि कैसे हल्दिया ने ख़ुद यह सार्वजनिक किया था कि नियमों में यूपीए सरकार ने इसलिए बदलाव किया ताकि नये प्लेयर इस क्षेत्र में घुस सकें।
इस क्षेत्र में नियमों का बदलाव करने का उद्देश्य ही GMR और GVK जैसी कंपनियों को एंट्री देने के लिए किया गया और इसके पीछे कांग्रेस की सरकार ही थी।
अडानी को एयरपोर्ट दिए जाने का जो दावा राहुल गांधी कर रहे हैं उसके पीछे का सच यह है कि एयरपोर्ट के ऑपरेशन को आसानी से चलाने के लिए सरकार ने यह फैसला लिया और सभी कम्पनियों को इसमें बोली लगाने की छूट थी, और बोली लगी भी, 6 एयरपोर्ट के संचालन के लिए AAI को 10 बिडर्स से 32 बिड्स मिले।
इसमें सभी 6 एयरपोर्ट में अडानी और GMR ने बोली लगाई और बाकी के कुछ एयरपोर्ट में कोचीन इन्टरनेशनल एयरपोर्ट, ज्यूरिख एअरपोर्ट कन्सोर्शियम और AMP कैपिटल ने भी बोली लगाई।
अडानी समूह ने अहमदाबाद के लिए 177 रुपए प्रति यात्री, जयपुर के लिए 174, मैंगलोर के लिए 115 तिरुवनंतपुरम के लिए 168, लखनऊ के लिए 171 और गुवाहाटी के लिए 160 रुपए प्रति यात्री देने की बिड AAI के सामने लगाई।
प्रतिस्पर्धा में शामिल दूसरी कई कम्पनियों ने इससे कम की बोली लगाई, जैसे GMR ने अहमदाबाद के लिए मात्र 85 रुपए, लखनऊ के लिए 63 रुपए, जयपुर के लिए 69 रुपए की पेशकश की। बाक़ी आप स्क्रीन पर पूरी डिटेल देख सकते हैं।
अब एयरपोर्ट अथॉरिटी को जो सबसे अधिक रेवेन्यु देगा उसे ही तो वो प्रिफर करेंगें क्योंकि यही नियम है तो उन्होंने वही किया और एअरपोर्ट अडानी को मिले। राहुल चाहते तो अपनी कोई कम्पनी भेजकर ऊंची बिड लगा सकते थे।
राहुल गांधी का दूसरा आरोप है कि मुंबई एयरपोर्ट को ऑपरेट करने वाली कम्पनी GVK पर सरकारी एजेंसियों की रेड डलवाई गई और उन्होंने दबाव में मुंबई एयरपोर्ट को अडानी के हवाले किया जबकि सच्चाई यह है कि GVK खुद इस दावे का खंडन कर चुकी है।
GVK के वाइस चेयरमैन GV संजय रेड्डी ने 8 फरवरी को ही एक बयान जारी करके कहा था कि; हमने अपने एयरपोर्ट बिजेनस का ट्रांसफर अपने बिजनेस के हितों के लिए किया था। इसमें सरकार का कोई रोल नहीं था। तो जब कम्पनी खुद कह रही है तो राहुल गांधी भला उसके प्रवक्ता बन के झूठ क्यों फैला रहे हैं?
राहुल गांधी ने सवाल पूछते हुए कहा है कि एक ही व्यक्ति को 6 एयरपोर्ट क्यों दिए गए? इसका सीधा जवाब है कि एक ही कम्पनी ने सबसे बड़ी बोली लगाई इसलिए दिए गए।
राहुल गांधी जिस एयरपोर्ट बिजनेस कि दुहाई दे रहे हैं वह भी पिछले 7-8 वर्षों में तेजी से बढ़ा है। केन्द्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अखबार द स्टेट्समैन में छपे एक इंटरव्यू में कहा है कि वर्ष 2014 से पहले देश में मात्र 74 एअरपोर्ट थे वहीँ आज इनकी संख्या 147 है।