अमेरिकी शार्ट सेलर हिंडनबर्ग द्वारा अडानी पर लगाए गए आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रथम दृष्टया ऐसा नहीं प्रतीत होता कि मामले में बाजार नियामक SEBI की कोई विफलता है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मार्च में गठित की गई इस समिति ने 12 मई को अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफ़ाफ़े में कोर्ट को सौंपी थी।
6 सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, “अभी तक की जांच और तथ्यों के साथ प्रस्तुत की गई SEBI की सफाइयों के आधार पर समिति यह कहने में अक्षम है कि प्रथम दृष्टया SEBI की तरफ से शेयरों के दामों को लेकर कोई नियामकीय विफलता हुई है।”

समिति का कहना है कि अभी तक की जांच के अनुसार, अडानी समूह द्वारा शेयरों के दामों में हेरफेर की बात सिद्ध नहीं हुई है। समिति ने हिंडनबर्ग के उन आरोपों को भी खारिज किया है जिसमें यह कहा गया था कि अडानी समूह की कम्पनियों में हिस्सेदारी को लेकर कोई उल्लंघन हुआ है। समिति ने यह भी कहा है कि नियामक अभी तक यह बात सिद्ध करने में सक्षम नहीं हुआ है कि उसके संदेह के आधार पर कोई उल्लंघन का मामला बनता है।
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समिति ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद अडानी समूह के शेयरों के दामों में आए उतार चढाव के बीच छोटे निवेशकों के हितों को सुरक्षित करने को लेकर समूह द्वारा उठाए गए क़दमों को भी सही माना है। समिति ने कहा है कि अडानी समूह द्वारा उठाए गए क़दमों से निवेशकों में विश्वास की भावना बढ़ी है।
विदेशी निवेशों पर लगाए गए आरोपों को लेकर समिति ने कहा है कि सभी पक्षों ने यह कहा है कि अडानी समूह में लगाया गया विदेशी पैसा अडानी समूह का नहीं है। इस समिति ने तीन मुद्दों – शेयर होल्डिंग पैटर्न, जुडी हुई पार्टीज से अडानी के लेन देन और शेयरों के भाव में गड़बड़ी को लेकर जांच की थी।
अडानी समूह पर अमेरिकी शार्ट सेलर हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी को एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें अडानी समूह पर तमाम आरोप लगाए गए थे। हालाँकि, अडानी समूह इन आरोपों को लेकर भी एक विस्तृत जवाब दिया था। इस पूरे मामले के बीच अडानी समूह की सभी कम्पनियों की कुल मार्केट वैल्युएशन 18 लाख करोड़ से घट कर नीचे आ गई थी।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने SEBI को अडानी समूह के लेनदेन की जांच को लेकर 3 महीने का अतिरिक्त समय दिया था, SEBI को 14 अगस्त तक जांच का समय दिया गया है। SEBI को पहले 2 महीने का समय मिला था लेकिन जांच के जटिल होने के चलते SEBI ने सुप्रीम कोर्ट से 6 महीने का समय और माँगा था।
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