अडानी और हिंडनबर्ग मामले में जारी विवाद के बीच खबरों और उससे अधिक खबरों के रूप में फैलने वाली अफवाहों का बाजार गरम है। 5 फरवरी की शाम से ही सभी बड़े अखबारों समेत सोशल मीडिया पर अडानी समूह का उत्तर प्रदेश में एक टेंडर रद्द होने की खबर लगातार चलाई जा रही है।
खबर देने वाले मूर्धन्यों के अनुसार, उत्तर प्रदेश की सरकारी बिजली कम्पनी, उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा अडानी समूह की कम्पनी अडानी ट्रांसमिशन को स्मार्ट मीटर लगाने के लिए दिए गए ठेके को उत्तर प्रदेश सरकार ने रद्द कर दिया है जो कि अडानी समूह के लिए कथित तौर पर बड़ा झटका है।
कहीं कहीं पर तो इस नुकसान की रकम 25,000 करोड़ रुपए तक बताई जा रही है लेकिन इस पूरे मामले की सच्चाई कुछ और है।
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इस खबर में इतनी सच्चाई जरूर है कि उत्तर प्रदेश की बिजली कम्पनी की एक सब्सिडियरी कम्पनी मध्यांचल विद्युत् वितरण निगम लिमिटेड (MVVNL) ने प्रदेश के बिजली कनेक्शन वाले घरों में स्मार्ट मीटर के लिए निकाले गए एक टेंडर को रद्द कर दिया है।
इस टेंडर की कीमत 5400 करोड़ रुपए थी। इस कीमत से लगभग 70 लाख मीटर खरीदे जाने थे। अब इसमें अडानी की एंट्री यहाँ से होती है कि अडानी समूह की कम्पनी अडानी ट्रांसमिशन इस टेंडर में हिस्सा ले रही थी। अडानी ट्रांसमिशन के अलावा इस क्षेत्र की कई और कंपनियों, जैसे GMR और लार्सन एंड टुब्रो आदि ने भी इस टेंडर के लिए अप्लाई किया था।
अडानी ट्रांसमिशन ने इस टेंडर में सबसे कम कीमत पर मीटर उपलब्ध कराने का वादा किया था। टेंडर के फाइनेंसियल बिड के अनुसार अडानी ट्रांसमिशन लिस्ट में L1 था।
यह शब्दावली किसी भी ठेके में सबसे कम कीमत पर कोट करने वाले के लिए प्रयोग की जाती है। अब टेंडर के रद्द होने की बात पर भी आते हैं। दरअसल, टेंडर अडानी की वजह से नहीं बल्कि दूसरी वजह से रद्द हुआ है।
इस मामले में कहा जा रहा था कि एक स्मार्ट मीटर की अनुमानित कीमत 6,000 रुपए होनी चाहिए जबकि बोली लगाने वालों ने इस कीमत से 40%-65% ज्यादा कीमत पर मीटर लगाने की बात कही थी। यही कारण है कि टेंडर रद्द कर दिया गया।
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तो भला जब कोई टेंडर अडानी को मिला ही नहीं तो इसके कैंसल होने से अडानी को क्या नुक़सान? यह तो उसी तरह की बात है कि निधि राजदान हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की प्रोफ़ेसरशिप बिना उन्हें मिले ही चली भी गई।
यह स्मार्ट मीटर का मामला कई दफ्तरों के चक्कर भी काट चुका है। समाचार पत्र अमर उजाला के अनुसार, मीटर की कीमत को लेकर उपभोक्ता परिषद् ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी शिकायत की थी, लेकिन मामले को बाद में MVVNL के ऊपर ही छोड़ दिया गया था।
दरअसल उत्तर प्रदेश में बिजली चोरी रोकने, बकायों के बढ़ने और अन्य समस्याओं से निपटने के लिए पूरे प्रदेश भर में 2.5 करोड़ से अधिक स्मार्ट मीटर लगाने पर काम चल रहा है।
प्रदेश में इसको लेकर लगभग 25000 करोड़ रुपए के टेंडर हुए हैं। इन टेंडर में प्रदेश के अलग अलग क्षेत्रों में बिजली सप्लाई करने वाले निगम लिमिटेड ने ठेका या तो दे दिया है या देने के प्रोसेस में हैं। अब इस खबर में अडानी की कम्पनी का नाम लेकर फ़ालतू की हाइप क्रिएट करने की कोशिश की गई है जबकि इसमें दूसरी भी कम्पनियां शामिल हैं।
यह समय ही ऐसा है। दुनिया भर में किसी भी बिज़नेस न्यूज़ को अडानी से जोड़ने का मौसम चल रहा है और इसमें कोई छूटना नहीं चाहता।