प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अप्रैल 2022 में चालू किए गए ‘अमृत सरोवर अभियान’ को समय से पहले पूरा कर दिया गया है। देश में जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए चालू किए गए इस मिशन से स्थानीय स्तर पर रोजगार और सामुदायिक एकता जैसे मिशन भी पूरे किए जा रहे हैं।
देश में सरोवरों की परम्परा को पुनर्जीवित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि 15 अगस्त, 2023 तक देश के सभी जिलों में 75-75 अमृत सरोवर बनाए जाएंगे, इस लक्ष्य के पूरे होने की अवधि 1 वर्ष रखी गई थी और इसके अंतर्गत देश भर में 50,000 सरोवर बनाए जाने थे। इन सरोवरों को पुराने सरोवर पुनर्जीवित करके बनाया जाना था।
समय से पहले पूरा हुआ काम
हालाँकि, प्रधानमंत्री के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को समय से पहले ही पूरा कर लिया गया है और अब 50,000 से और अधिक सरोवर भी बनाए जा रहे हैं। अमृत सरोवर मिशन के डैशबोर्ड के अनुसार, देश भर में मिशन शुरु होने के बाद 1,11,477 जगहों पर अमृत सरोवर बनाने के लिए जगह पहचानी जा चुकी है। इन 1.11 लाख में से 80,532 सरोवर पर काम चालू हो गया है। देश भर में अब तक 65,105 सरोवर बनाए जा चुके हैं।
देश भर में सर्वाधिक सरोवर उत्तर प्रदेश में बनाए गए हैं। उत्तर प्रदेश में 12,959 सरोवर बनाए जा चुके हैं। इसके अतिरिक्त 23,610 अन्य जगहों पर सरोवर बनाने का काम चालू है। मध्य प्रदेश ने 5,210 सरोवर बनाए हैं। पश्चिम बंगाल ने सबसे कम 24 अमृत सरोवर बनाए हैं। राज्य सरकार की शिथिलता इस मामले में देखी जा सकती है।
देश में दोबारा से बड़े स्तर पर सरोवर बनाने की इस योजना के पीछे कई कारण रहे हैं। बीते कुछ दशकों में तेज शहरीकरण, अतिक्रमण और देखरेख ना होने की वजह से लगातार तालाबों की संख्या देश भर में घटी है। ऐसे में सरकारी स्तर पर प्रयास करके इतनी बड़ी संख्या में सरोवर बनाना अवश्य ही देश के जल संरक्षण को मजबूती देगा।
इस योजना की खासियत यह है कि इसके लिए कोई विशेष फंड की व्यवस्था नहीं करनी पड़ी है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत ही इन नए सरोवरों का निर्माण किया जा रहा है। इनकी देखरेख के लिए भी स्थानीय लोगों को जिम्मेदार बनाया गया है।
स्थानीय पर्यटन और रोजगार का माध्यम बन रहे अमृत सरोवर
प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए मिशन से कई जिलों के दूर-दराज के इलाकों में भी पर्यटन और रोजगार की नई संभावनाएं विकसित की जा रही हैं। इन अमृत सरोवर के आस-पास अच्छी लाइटिंग, बैठने की व्यवस्था और छाँव आदि का प्रबंध किया गया है।
सरोवरों के चारों तरफ अलग-अलग पौधे लगाए गए हैं और कहीं-कहीं जॉगिंग के लिए ट्रैक भी बनाया गया है। इससे लोग इन सरोवरों के पास इकट्ठा हो रहे हैं। कई जगह पर इन सरोवरों में नौकायन (बोटिंग) की व्यवस्था की गई है। इस नौकायन से स्थानीय लोगों को रोजगार मिल रहा है। बड़ी संख्या में लोगों के इकट्ठा होने से इन सरोवरों के आस-पास खाने-पीने की दुकानें भी चल रही हैं, जिससे स्थानीय युवाओं को नए अवसर मिल रहे हैं। इस प्रकार जल संरक्षण के साथ ही रोजगार और सामुदायिक हितों को भी साधा जा सका है।
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