आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की है कि पार्टी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार है। केजरीवाल की यह घोषणा विपक्षी गठबंधन इंडि अलायंस के भविष्य को लेकर सवाल खड़ा करती है, जिसका आप हिस्सा है।
5 राज्यों में विधानसभा चुनाव 7 से 30 नवंबर तक होंगे, जिन्हें 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है।
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस, इंडि अलायंस में भागीदार हैं लेकिन आम आदमी पार्टी द्वारा तीन राज्यों में स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने की घोषणा ने इस गठबंधन के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। पार्टी द्वारा ऐसी घोषणा विपक्षी गठबंधन के सदस्यों के बीच सीट बंटवारे की योजनाओं और बातचीत के भविष्य पर सवाल उठाती है।
कांग्रेस के खिलाफ उम्मीदवार उतारकर आम आदमी पार्टी विपक्षी वोट को विभाजित करने और उससे भाजपा को होने वाले संभावित लाभ का जोखिम उठा रही है, पार्टी गुजरात विधानसभा चुनाव में ऐसा कर चुकी है।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस कमल नाथ के नेतृत्व में वापसी की उम्मीद कर रही है। अब देखना यह होगा कि केजरीवाल की इस घोषणा के बाद कांग्रेस की क्या प्रतिक्रिया होती है।
इसी तरह छत्तीसगढ़ और राजस्थान की राजनीति पर आप की इस घोषणा पर क्या असर होगा, यह भी देखने वाली बात होगी। इसी वर्ष केजरीवाल राजस्थान और छत्तीसगढ़, दोनों राज्यों का दौरा कर चुके हैं। राजस्थान में तो सभा करते हुए वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कड़े शब्दों में आलोचना कर चुके हैं।
ऐसा नहीं कि इन राज्यों में स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने की बात केवल आम आदमी पार्टी ने की है। इंडि अलायंस के एक और दल, समाजवादी पार्टी भी मध्य प्रदेश में स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने की बात कर चुकी है। अपने मध्य प्रदेश दौरे में पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ऐसा कह चुके हैं।
इन दलों द्वारा स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का अर्थ है कि ये दल उन वोटों को विभाजित करेंगे जो इन राज्यों में कांग्रेस के पास हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि यदि ऐसा हुआ तो विपक्षी गठबंधन का भविष्य क्या होगा?
ऐसा भी नहीं है कि इंडि अलायंस में केवल इन दोनों दलों के कारण भ्रम की स्थिति है। गठबंधन में अंतर्विरोध पश्चिम बंगाल में भी दिखाई देता है जहाँ गठबंधन का अति महत्वपूर्ण दल माने जाने वाले तृणमूल कांग्रेस की नेत्री ममता बनर्जी यह घोषणा कर चुकी हैं कि वे मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ किसी भी तरह के गठबंधन में नहीं रहेंगी। ममता बनर्जी अपने राज्य में न केवल मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के लिए बल्कि कांग्रेस के लिए भी अपनी राजनीतिक ज़मीन छोड़ने को राज़ी नहीं हैं। ऐसे में गठबंधन के भविष्य को लेकर प्रश्न लगातार बढ़ते जा रहे हैं।
अब देखने वाली बात यह होगी कि कांग्रेस पार्टी अपनी सीमित राजनीतिक जमीन को लेकर किस हद तक समझौता करने को तैयार है।