अरविन्द केजरीवाल जिस पारदर्शिता का ढोल पीटते हुए सत्ता में आए थे, उस ढोल की पोल बीते 8-9 वर्षों में समय-समय पर लगातार खुलती रही है। यह अलग बात है कि केजरीवाल को यह विश्वास है कि झूठ अगर बार बार बोला जाए तो वह सच हो जाता है।
दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार के नित नए कारनामों में एक और नया कारनामा जुड़ गया है। दरअसल, अरविन्द केजरीवाल सरकार ने नियमों की अवहेलना कर 437 लोगों को सरकार के विभिन्न विभागों, कॉरपोरेशन, बोर्ड, सोसायटी, आदि में नौकरी दी। नौकरी देते समय न तो उप राज्यपाल से मंजूरी ली गई और न ही आरक्षण नीति का पालन किया गया।
हैरानी की बात तो यह है कि जिन लोगों को नौकरियाँ दी गई हैं, उनमें से कई लोग आम आदमी पार्टी से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं। पार्टी के यह सरकारी कार्यकर्ता जनता के पैसे से हर महीने 75,000 से लेकर 2,65,000 रुपए तक कमा रहे हैं।
अब मनोज झा को ही ले लीजिए। पहले पत्रकार थे और फिर दिल्ली सरकार में चीफ मीडिया एडवाइजर के पद पर तैनात कर दिए गए। इनके ट्टीट्स देखकर तो यही लगता है कि ये महाशय केजरीवाल सरकार के मीडिया एडवाइजर नहीं बल्कि पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ता हैं।
इसी तरह आंचल बावा पाठक जो दिल्ली असेंबली रिसर्च सेंटर में कार्यरत हैं, इनके ट्वीट्स देखिए। ये मनुष्य के रूप में पार्टी की टीवी चैनल नजर आती हैं।
इनके अलावा, ऐश्वर्या जो पहले प्रशिक्षु के रूप में आम आदमी पार्टी से जुड़े थे और फिर इन्हें दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों में नौकरी भी मिल गई और अभी दिल्ली सरकार में भारी वेतन पर एसोसिएट फेलो के पद पर रहते हुए मलाई भक्षण कर रहे हैं।
इसी तरह नवीलाह, जो 2017 में MCD इलेक्शन में आम आदमी पार्टी के लिए कैम्पेन कर रहा था और बाद में इन्हें दिल्ली सरकार में नौकरी मिल गई। इसके अलावा, स्वाती, जो DARC में काम करने वाली कर्मचारी कम और पार्टी की कैम्पेनर ज्यादा लग रही हैं।
ऐसे कई लोग हैं जो या तो पहले पार्टी से जुड़े थे या फिर पार्टी के लिए कैम्पेन कर रहे थे। जिन्हें बाद में दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों में मोटे वेतन पर नौकरी पर रखा गया। यह लिस्ट बहुत लम्बी है। तकरीबन 437 लोगों की।
अब इन 437 लोगों की नौकरी खतरे में पड़ गई है। दिल्ली के सेवा विभाग के स्पेशल सेक्रेटरी राजशेखर ने दिल्ली सरकार के सभी विभागों को आदेश जारी कर कहा है कि इन लोगों की सेवाएँ और इनका वेतन तत्काल प्रभाव से रोक दिया जाए।
हालाँकि आदेश में यह भी कहा गया है कि अगर किसी विभाग को ऐसा लगता है कि वह अपने यहाँ ऐसे लोगों की नियुक्ति जारी रख सकता है तो वह पूरे जस्टिफिकेशन और दस्तावेज के साथ सर्विस विभाग को भेजे ताकि उपराज्यपाल के पास भेजकर उनकी राय और मंजूरी ली जा सके।
हर बार की तरह इस बार भी आम आदमी पार्टी ने इसे असंवैधानिक करार दिया है। वे कह रहे हैं कि ये लोग IIM अहमदाबाद, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, JNU, NIT, लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स, कैंब्रिज वगैरह से पढ़कर आए हैं।
हालाँकि केजरीवाल सरकार को ये समझने की जरूरत है कि नियमों की अवहेलना कर, जनता के पैसे से वेतन पाकर, सरकार के बजाय पार्टी हित में काम करना कुछ और हो ना हो लेकिन प्रोफेशनल्जिम तो बिलकुल नहीं है।
यह भी पढ़ें: मधुशाला के मनीष सिसोदिया का ‘शराब’ घोटाला भले नया है लेकिन ‘आदत’ तो पुरानी है