पश्चिम बंगाल के एक अस्पताल में 24 घंटे में नौ नवजात शिशु और दो साल के एक बच्चे की मौत होने का गंभीर मामला सामने आया है। एक अधिकारी ने शुक्रवार को जानकारी दी कि मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में शिशुओं की मौत हो गई और मौत के कारण की जांच के लिए एक समिति का गठन किया गया है।
अधिकारी के अनुसार प्रारंभिक जानकारी से पता चलता है कि इनमें से मृतक बच्चोंं में से अधिकतर कुपोषित थे और उनमें से एक को गंभीर जन्मजात हृदय रोग था। मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक सह उप प्राचार्य अमित कुमार दाह ने कहा कि हम कुछ बच्चों को बचाने में सक्षम नहीं थे क्योंकि उनमें से अधिकांश कुपोषित थे, उन्हें जन्मजात बीमारियाँ थीं और वे कम वजन के पैदा हुए थे, जिनका वजन लगभग 500 ग्राम या 600 ग्राम था।
डॉक्टर दाह का कहना है कि ऐसे मामलों में उपचार समयबद्ध है और हमारे पास वह समय नहीं था। जंगीपुर उप-मंडल अस्पताल का नवीनीकरण चल रहा है और वहां से उनके सभी मामलों को मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भेजा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि मरीजों को पहले जंगीपुर ले जाया गया और फिर हमारे पास आए, जिसमें पांच घंटे से ज्यादा का समय लगा। डॉक्टर के अनुसार अगर पहले चार से पांच घंटों में ऐसे मरीजों का इलाज नहीं किया जाता तो उन्हें बचाना मुश्किल हो जाता है।
साथ ही डॉक्टर अमित कुमार दाह का कहना है कि 800 ग्राम या 1 किलोग्राम वजन वाले बच्चों को अभी भी बचाया जा सकता है, लेकिन 500 ग्राम वजन वाले बच्चे को बचाना एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि जिन 300 मरीजों का वे इलाज कर रहे हैं उनके लिए उनके पास सिर्फ 130 बिस्तर हैं क्योंकि वे अन्य जिलों के मरीजों को भी भर्ती कर रहे हैं। हमें मानवीय आधार पर सभी मरीजों को भर्ती करना होगा। उन्होंने कहा कि उन्होंने लगभग 900 बच्चों को भी बचाया है।
यह भी पढ़ें- पश्चिम बंगाल: राशन वितरण घोटाले में राज्य मंत्री के आवासों पर ईडी का छापा