पिछले एक साल में मनरेगा योजना (MGNREGA) से जुड़े पांच करोड़ जॉब कार्ड सरकार द्वारा रद्द कर दिए गए हैं। यह जानकारी केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह द्वारा लोकसभा में दी गई है। यह आँकड़ा 2021-22 की तुलना से 247 प्रतिशत अधिक है।
वित्त वर्ष 2021-22 में 1,49,51,247 श्रमिकों के मनरेगा जॉब कार्ड रद्द किए गए थे, जबकि 2022-23 में यह संख्या 5,18,91,168 है ।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि सबसे ज़्यादा 83 लाख 36 हज़ार मनरेगा कार्ड पश्चिम बंगाल में रद्द किए गए हैं। यह पिछले वर्ष की तुलना में क़रीब 5,000 प्रतिशत अधिक है। इस प्रकार दूसरे नंबर पर आंध्र प्रदेश है जहाँ वर्ष पिछले वर्ष 6,25,514 जॉब कार्ड और इस वित्तीय वर्ष में लगभग 78 लाख मनरेगा कार्ड रद्द किए गए।
क्या है मनेरगा?
मनरेगा यानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी। यह योजना प्रत्येक वित्तीय वर्ष में किसी भी ग्रामीण परिवार के उन वयस्क सदस्यों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराती है जो प्रतिदिन 220 रुपए की सांविधिक न्यूनतम मजदूरी पर सार्वजनिक कार्य-सम्बन्धित अकुशल मजदूरी करने के लिए तैयार हैं।
हालाँकि यह योजना शुरू से ही भ्रष्टाचार के घेरे में रही है। मनेरगा से जुड़े कई घोटाले सामने आ चुके हैं। इसलिए धीरे-धीरे सरकार इस भ्रष्टाचार को खत्म करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है।
क्यों रद्द किए जॉब कार्ड
मनरेगा जॉब कार्ड को रद्द करने का सबसे बड़ा कारण फर्जीवाड़ा, डुप्लिकेट जॉब कार्ड बनाना है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय जनप्रतिनिधि की मिलीभगत से कई फ़र्ज़ी जॉब कार्ड बना दिए जाते हैं। जॉब कार्ड को रद्द करने के अन्य कारण केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इस प्रकार बताए हैं, जैसे काम करने की इच्छा नहीं होना, परिवार के ग्राम पंचायत से स्थायी रूप से स्थानांतरित हो जाने या मृत्यु जैसे कारणों से नाम हटाए गए हैं।
मनरेगा में भ्रष्टाचार
झारखंड में मनरेगा योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार के नित नए कीर्तिमान स्थापित किए जा रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2020-21 के जुलाई-अगस्त में किए गए समवर्ती सामाजिक अंकेक्षण रिपोर्ट के अनुसार कुल 1,59,608 मजदूरों के नाम से मास्टर रोल (हाजरी शीट) निकाले गए थे, उनमें से सिर्फ 40,629 वास्तविक मजदूर (25%) ही कार्यरत पाए गए।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए पश्चिम बंगाल के लिए मनेरगा निधि को रोकने का फैसला किया है। दरअसल मनरेगा की धारा 27 के अनुसार कोई राज्य योजना के कार्यान्वयन में नियमों का उल्लंघन करता है तो केंद्र सरकार इस उल्लंघन के लिए सम्बन्धित राज्य के धन पर रोक लगा सकती है।
केंद्र ने पहली बार जमीनी सर्वेक्षणों के आधार पर दिसम्बर 2021 में नियम लागू किया था, जब बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और दिशानिर्देशों के उल्लंघन का खुलासा हुआ था। वर्तमान में केंद्र सरकार पर राज्य का ₹7,500 करोड़ बकाया है, जिसमें से अकेले श्रम मजदूरी की राशि ₹2,744 करोड़ है। इसके चलते ही इस वित्तीय वर्ष के लिए केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल की मनरेगा निधि पर भी रोक लगाई है।
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