गुजरात के वडोदरा में सोमवार (अगस्त 28, 2023) को पुलिस द्वारा तीन लोगों को कथित तौर पर सबूत नष्ट करने एवं नफरत फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। यह गिरफ्तारी एक वीडियो के आधार पर हुई है जिसको आरोपितों द्वारा ही फैलाया जा रहा था।
दरअसल, आरोपितों ने सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक नफरत भड़काने वाला एक एक वीडियो डाला था। हालांकि पुलिस द्वारा पकड़े जाने के बाद इसे हटा लिया गया था।
जानकारी के अनुसार यह आरोपित व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर लड़कियों और उनके मित्रों से जुड़ी जानकारी साझा करते थे और नैतिक पुलिसिंग कर नफरत फैलाने का काम करते थे। यह ग्रुप कुछ दिन सक्रिय रखने के बाद डिलीट कर दिए जाते थे और उनके स्थान पर नए ग्रुप बनाए जाते थे।
पुलिस के अनुसार आरोपितों की पहचान मुस्तकीम इम्तियाज शेख, बुरहानबाबा नानूमिया सैय्यद और साहिल शेख के रूप की है। यह लोग जून में सांप्रदायिक आधार पर नैतिक पुलिसिंग की एक घटना में शामिल थे। आरोपितों द्वारा कथित तौर पर अपने मज़हब की लड़की के साथ दोस्ती करने पर एक व्यक्ति को धमकाने के अलावा उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया था।
वडोदरा जोन 2 के पुलिस उपायुक्त अभय सोनी ने द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए बताया कि आरोपितों में से एक साहिल शेख ‘आर्मी ऑफ महदी’ नामक व्हाट्सएप ग्रुप का एडमिन था। यह समूह सांप्रदायिक आधार पर नैतिक पुलिसिंग में शामिल था। इन्हीं के द्वारा एक वीडियो अपलोड किया गया था। इसमें आरोपित अकोटा में एक व्यक्ति के साथ दुर्व्यवहार और मारपीट कर रहे थे क्योंकि वह उनके समुदाय की एक लड़की के साथ पाया गया था।
पुलिस के अनुसार वीडियो में उस तरह का मामला नहीं था जैसा आरोपित दिखाना चाह रहे थे। उन्होंने महिला मित्र की मौजूदगी में पीड़ित आदमी को डराया धमकाया था। वीडियो के वायरल हो जाने पर पुलिस ने इसका संज्ञान लेकर जांच शुरू की तो आरोपितों तक पहुँचने में कामयाब रही। पुलिस को खबर मिलने के कारण आरोपितों ने दो दिन पूर्व वीडियो को डिलीट कर दिया था।
डीसीपी सोनी ने कहा कि तीनों आरोपित वडोदरा निवासी हैं। उनकी उम्र 20 वर्ष के करीब है। उन्होंने कथित तौर पर दो दिन पहले अपने पहले व्हाट्सएप ग्रुप को डिलीट कर के लश्कर-ए-आदम नाम से एक नया समूह बनाया है।
पुलिस ने बताया कि वायरल वीडियो का स्वतः संज्ञान लेकर जांच शुरू की गई थी। जांच में पता चला था कि वीडियो एक आरोपित द्वारा संचालित समूह के माध्यम से अपलोड किया गया था। उन्होंने कुछ दिनों में ही वीडियो को ग्रुपर से हटाकर एक नया समूह बना लिया था, जिसमें अबतक कोई गतिविधि नहीं थी।
पुलिस के अनुसार त्योहारों के सीजन में असामाजिक तत्वों को रोकने के लिए गिरफ्तारी एक सक्रिय उपाय है। विशेषरूप से जब ऐसी सांप्रदायिक गतिविधियां समाज में अविश्वास पैदा करती हैं और कानून व्यवस्था के लिए चुनौती के रूप में सामने आती हैं।
पुलिस ने यह भी बताया है कि आरोपी कथित तौर पर अपने पड़ोस में बैनर भी लगा चुके हैं। इन बैनरों में युवा लड़कियों के माता-पिता को चेतावनी दी गई थी कि वे लड़कियों के लिे धार्मिक और नैतिक शिक्षा सुनिश्चित करें ताकि वे समुदाय से बाहर न जाएं। आरोपितों पर आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर जांच की जा रही है।
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