11 जुलाई को संपन्न हुई वस्तु एवं सेवा कर (GST) काउंसिल की 50वीं बैठक में निर्णय लिया गया है कि ऑनलाइन गेमिंग, कैसिनो और घुड़दौड़ पर 28% GST लगाया जाएगा। इसको लेकर वित्त मंत्रालय ने GST लगने का तरीका भी बता दिया है। सभी राज्यों और केंद्र की सदस्यता वाली GST काउंसिल के निर्णय को लेकर सोशल मीडिया दो हिस्सों में बंट गया है।
कई ऑनलाइन गेमिंग स्टार्टअप से जुड़े फाउंडर, टेक स्टार्टअप से जुड़े व्यक्ति और अन्य लोग इस निर्णय को लेकर कह रहे हैं कि सरकार द्वारा 28% GST लगाने से ऑनलाइन गेमिंग और बेटिंग इंडस्ट्री को नुकसान होगा और इस इकोसिस्टम पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। दूसरी तरफ बड़ी संख्या में इस कदम का लोग समर्थन कर भी रहे हैं। उनका तर्क है कि इस तरह की गतिविधियों की लागत बढ़ने से युवा इन सब कामों में नहीं पड़ेंगे।
करों की व्यवस्था के ना होने और नियमन की कमी की वजह से बीते दिनों में इससे संबंधित कई गड़बड़ियाँ भी सामने आई हैं। इन सभी गतिविधियों पर कितना कर लगे, इसके लिए केंद्र सरकार ने एक मंत्रिसमिति का गठन किया था। इस समिति ने अपनी पहली रिपोर्ट जून 2022 में 47वीं GST काउंसिल की बैठक के सामने रखी थी, GST काउंसिल ने इस समिति से मामले को दोबारा देखने को कहा था।
इसको लेकर अब 50वीं बैठक में निर्णय लिया गया है कि कैसिनो में चिप्स (जुआ खेलने के लगने वाली कैसिनो की मुद्रा), घुड़दौड़ में शर्त पर लगाई जाने वाली पूरी धनराशि और ऑनलाइन गेमिंग एप में शर्त के तौर पर लगाई जाने वाली पूरी धनराशि पर 28% GST लगाया जाएगा।
कितनी बड़ी है गेमिंग इंडस्ट्री?
भारत की गेमिंग इंडस्ट्री बीते वर्षों में तेजी से बढ़ी है, इसका आकार वर्तमान में लगभग 3 बिलियन डॉलर का है जिसके 2025 तक 5 बिलियन हो जाने की संभावना है। प्रतिष्ठित रोजगार सेवा प्रदाता कम्पनी टीमलीज की रिपोर्ट बताती है कि देश में वर्तमान में 400 से अधिक गेमिंग कम्पनियां है। इनमें ड्रीम11, एमपीएल और गेम्स24X7 जैसे स्टार्टअप यूनिकॉर्न बन चुके हैं। यह क्षेत्र वर्तमान में 50,000 से अधिक लोगों को सीधे रोजगार देता है।
गेमिंग इंडस्ट्री देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का भी प्रमुख स्रोत रही हैं। इस क्षेत्र में अब तक लगभग २.5 बिलियन डॉलर से अधिक का विदेशी निवेश हो चुका है। देश में अभी 40 करोड़ से अधिक गेमिंग सेवाओं का उपयोग करने वाले लोग हैं जिसमें सबसे बड़ी संख्या २0-29 आयुवर्ग के लोगों के की है।
यदि इन कम्पनियों के राजस्व की बात की जाए तो इस क्षेत्र में देश में सबसे अग्रणी ड्रीम11 का राजस्व वर्ष 2022 में 3,840 करोड़ रहा जो कि पिछले वर्ष से 50% अधिक था। हालांकि, इस दौरान अपने प्रचार पर बड़ी धनराशि खर्च करने के कारण इसका मुनाफा कम हो गया।
अभी तक क्या थी ऑनलाइन गेमिंग में GST की स्थिति
ऑनलाइन गेमिंग में पूरी शर्त की पूरी धनराशि पर 28% GST लगाने से पहले ग्रोस गेमिंग रेवेन्यु पर 18% GST लगता था। इसका अर्थ यह है कि सभी ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफार्म की उस धनराशि पर GST लगता था जो कि जीतने वालों को देने के बाद बचती थी। इसके अतिरिक्त प्लेटफार्म फी अर्थात उस प्लेटफार्म को उपयोग करने के शुल्क पर भी 18% GST का प्रावधान था।
अब इसको बदल दिया गया है, अब यदि कोई यूजर इन प्लेटफार्म के माध्यम से 100 रुपए शर्त के तौर पर लगाता है तो इस पर 28% GST लगेगा। इस नए नियमन से सरकार की कमाई बढ़ने की आशा है और साथ ही इन कम्पनियों की कार्यशैली में भी पारदर्शिता आएगी।
GST की इन दरों को लगाने से पहले यह भी कहा गया था कि भाग्य के आधार पर परिणाम देने वाले खेल जैसे कि घुड़दौड़ या कैसिनो और विशेषज्ञता के आधार पर परिणाम देने वाले खेलों जैसे कि ऑनलाइन बेटिंग पर अलग-अलग दरों से GST लगाया जा सकता है लेकिन अब यह निर्णय लिया गया है कि दोनों पर समान दरों से GST लगाया जाएगा।
ऑनलाइन गेमिंग पर 28% GST लगाना सही है?
बड़े स्तर पर सोशल मीडिया पर ऑनलाइन गेमिंग को 28% GST के दायरे में लाने के निर्णय की आलोचना हुई है, सबसे ज्यादा आलोचना ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने ही की है। इसके विपरीत एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो कि इस निर्णय का समर्थन कर रहा है। समर्थन करने वाले इसके लिए कई तर्क दे रहे हैं।
पहला तर्क यह दिया जा रहा है कि ऑनलाइन गेमिंग में शर्त लगाना किसी भी तरह की रोजमर्रा की गतिविधि से संबंधित नहीं है जो कि इस पर 5% या 12% GST लगाया जाए। शर्त, जुआ या फिर कैसिनो आदि में जाना भी एक तरह से लग्जरी उपभोग ही है। ऑनलाइन गेमिंग आम आदमी के जीवन को भी प्रभावित करने वाली कोई वस्तु या सेवा नहीं है।
इसके अतिरिक्त, भारत में पहले से ही लाटरी जैसी गतिविधियों से प्राप्त आय पर ऊंचा टैक्स लगता आया है। ऐसे में ऐसी ही दूसरी गतिविधि ऑनलाइन गेमिंग पर भी उसी तरह से GST लगाया गया है।
ऑनलाइन गेमिंग पर 28% GST का समर्थन करने वालों का यह भी कहना है कि उससे युवाओं को जुए और शर्तबाजी जैसी गतिवधियों से भी दूर करने में आसानी होगी। बीते दिनों में पूरे देश से ऐसी खबरें सामने आई हैं जहाँ लोगों ने इन ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफार्म पर शर्तबाजी में लाखों रुपए गंवाने के बाद आत्महत्या कर ली। GST दरें बढ़ने और पुरष्कार कम होने के कारण इस संख्या में भी कमी आने की आशा है।
इस निर्णय से क्या बदलाव आएँगे?
अभी के नियमों के अनुसार, गेमिंग इंडस्ट्री कर के रूप में सरकार को अभी लगभग ₹2000 करोड़ प्रति वर्ष देती है। GST की नए दरें लागू होने से सरकार को अधिक राजस्व मिलेगा। इसके अतिरिक्त, इस इंडस्ट्री का नियमन भी अब सही तरीके से हो सकेगा। बीते दिनों गुजरात और पंजाब से ऐसे मामले सामने आए थे जब फर्जी आईपीएल का आयोजन करवा कर उस पर सट्टा लगाया जा रहा था। सट्टे का यह काम एक एप के जरिए हो रहा था।
इस निर्णय के बाद अब ऑनलाइन गेमिंग कम्पनियों को अपने पुरुष्कार और प्रतियोगिता आदि के ढाँचे में भी बड़े बदलाव करने पड़ेंगे। उन्हें अब नए नियमों के हिसाब से धनराशि का बंटवारा अपने और जीतने वाले लोगों के बीच करना होगा और साथ ही सरकार को भी कर अदायगी करनी होगी। अभी तक कम GST के कारण या प्लेटफार्म बड़े पुरुष्कार रख रहे थे जिनमें बदलाव देखने को मिलेगा।
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