एसबीआई द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक के 2,000 रुपये के नोटों को चलन से वापस लेने के फैसले से भारत की अर्थव्यवस्था को कई तरह से फ़ायदा पहुँच सकता है। इसका अर्थ है कि 2000 के नोट विदाई के साथ-साथ भी भारतीय अर्थव्यवस्था को कई फायदे देने वाले हैं।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, एसबीआई ने एक रिपोर्ट में बताया है कि कैसे 2000 रुपए के नोटों की वापसी से बैंक डिपोजिट में, ऋणों के भुगतान में, डिजिटल करेंसी में, अर्थव्यवस्था में समग्र आर्थिक वृद्धि संभव है।
एसबीआई समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष द्वारा लिखित अपनी नवीनतम ‘इकोरैप रिपोर्ट’ में तर्क दिया गया है कि 2000 रुपये के नोट को वापस लेने के अन्य प्रमुख लाभों में से एक उपभोग की मांग (Consumption demand) में फ़ौरन वृद्धि हो सकती है।
लोग जिस मात्र में बैंकों में पैसा जमा कर रहे हैं इस से बैंकों की जमा राशि बढ़ेगी और जिसका सीधा अर्थ यह है कि वह उनके पास नकदी भी बढ़ जाएगी। बैंक के पास ज़्यादा राशि आने का परिणाम यह होता है कि बैंक अब बाज़ार में अधिक कर्ज देने में सक्षम होंगे और इस जमा नकदी की वजह से बैंक करीब 92,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त कर्ज दे सकेंगे।
एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार जिस तरह लोग बड़ी मात्रा में 2000 के नोट जमा कर रहे हैं, उसे देखते हुए बैंकों की जमाओं में 1.50 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि (CASA) होने जा रही है।
ऑल शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंक (ASCB) के आंकड़ों का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि यह दर्शाता है कि 2 जून, 2023 को समाप्त हुए पीरियड के दौरान कुल जमा राशि में 3.3 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि “पिछले दो वर्षों में इसी पखवाड़े के दौरान जमा में औसत वृद्धि लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये थी। इस प्रकार इस समयावधि में बैंकों को लगभग 1.8 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त जमा राशि प्राप्त हो सकती है। ऐसा लगता है कॉरपोरेट्स, बैंकों के साथ अतिरिक्त धनराशि जमा कर रहे हैं।”
रिपोर्ट के अनुसार, 2000 रुपये के बैंकनोट डिपॉजिट को जोड़ने पर रिफाइनरी, तेल, गैस, बिजली और रसायन जैसे सेक्टर्स में नकदी और बैंक बैलेंस में वृद्धि देखी गयी है।
ज्ञात हो कि आरबीआई ने पिछले महीने ही 2000 रुपये के नोटों को वापस लेने की घोषणा की थी। 2000 रूपये के नोट के चलन की बात करें तो 31 मार्च, 2018 को यह 6.73 लाख करोड़ के साथ शीर्ष पर था और 31 मार्च, 2023 आते आते यह मात्र 3.62 लाख करोड़ रूपये तक सिमट गया। यह भी देखा गया कि इसका उपयोग आमतौर पर लेन-देन के लिए नहीं किया जाता था।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास द्वारा 8 जून को दिए गए बयान के अनुसार, बैंकों को पास सर्कुलेशन में मौजूद 2000 के नोट में से आधे वापस आ गए थे। दास ने बताया था कि 1,80,000 करोड़ के नोट बैंकों में वापस आ चुके थे। एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि 75% लोग 2000 के नोट अपने ही बैंक खाते में जमा कर रहे हैं और मात्र 25% ही नोट एक्सचेंज कर रहे हैं।
अमृतकाल में भारतीय आर्थिक दर्शन के सहारे आगे बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था