उत्तराखण्ड के पुलिस महकमे से एक खबर सामने आई है, जहाँ एक साथ 20 दरोगाओं को निलबिंत कर दिया गया है। इन पर वर्ष 2015 में हुई दरोगा भर्ती में धांधली कर पास होने का आरोप है। बताया जा रहा है कि अभी इस मामले की जाँच विजलेंस कर रही है और जांच पूरी होने तक यह सभी सस्पेंड ही रहेंगे।
एडीजी लॉ एंड ऑर्डर डॉ वी मुरुगेशन ने आदेश जारी करते हुए बताया कि विजलेंस की शुरूआती रिपोर्ट के बाद यह कदम उठाया गया है। रिपोर्ट में बताया गया कि 20 दरोगाओं ने नक़ल और धोखाधड़ी कर पेपर पास किया था।
एडीजी लॉ एंड ऑर्डर डॉ वी मुरुगेशन ने संबंधित जिलों के पुलिस अधिकारियों को इन सभी 20 दरोगाओं को तत्काल निलंबित करने का आदेश दे दिया है। साल 2015 पुलिस दरोगा भर्ती परीक्षा मामले में यह कार्रवाई की गई है।
क्या है मामला
वर्ष 2015 में तत्कालीन हरीश रावत सरकार ने इन पदों पर नियुक्ति जारी की थी। इस मामले में विजलेंस के जांच के बाद आरोपित पकड़ में आते चले गए। विजलेंस की नज़र अभी ऐसे ही लगभग 70 दरोगाओं पर बनी हुई है जो धांधली के सहारे भर्ती हुए थे।
आपको बता दें कुमाऊं प्रभाग में 12 आरोपितों के खिलाफ पहले ही मुकदमा दर्ज़ हो चुका है। विजिलेंस की टीम जांच के लिए उत्तर प्रदेश भी गयी थी जहाँ टीम को कई अहम सुराग हाथ लगे।
प्राथमिक जांच में पता चला है कि इस परीक्षा में 20 दरोगा रिस्वत दे कर भर्ती हुए थे। करीब आठ वर्ष पूर्व वर्ष 2015 में हुई यह भर्ती तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यकाल में हुई थी।
अक्सर अपने खाने एवं पीने की आदत के चलते चर्चा में रहने वाले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के शासनकाल में द
रोगा के 339 पदों पर सीधी भर्ती की परीक्षा की जिम्मेदारी गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय पंतनगर को दी गई थी। उस दौरान भी भर्ती में घपले के आरोप लगे थे, लेकिन सरकार की ओर से जांच न कराने के कारण मामला दब गया था।
सरकार ला रही है नक़ल विरोधी कानून
उत्तराखण्ड में सरकारी भर्ती परीक्षाओं में चल रही धांधली पर लगाम कसने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि नकल पर सरकार सख्ती बरत रही है और अब तक 55 लोगों को जेल हो चुकी है। इसके खिलाफ सरकार कानून ला रही है, जिसके तहत जो नकल करवाएगा, उसकी संपत्ति जब्त की जाएगी और उम्रकैद की सजा होगी। तथा जो नकल करेगा वो 10 सालों तक किसी भी परीक्षा में भाग नहीं ले पाएगा।