पूरे विश्व में अपनी बुद्धिमत्ता और कौशल का लोहा मनवाने वाले भारतीय अपने घरों को बड़ी मात्रा में पैसे भेज रहे हैं। भारत भेजी जाने वाली इस राशि के आगामी समय में और भी बढ़ने की संभावनाएँ हैं। विश्व बैंक द्वारा जारी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि विदेशों में रहने वाले भारतीय इस वर्ष भारत में अपने घरों को 100 बिलियन डॉलर से भी अधिक राशि भेजेगें।
विश्व बैंक ने ‘रेमिटेंसेस ब्रेव ग्लोबल हेडविंड्स’ (Remittances Brave Global Headwinds) शीर्षक से यह रिपोर्ट जारी की है। जिसका नवीनतम संस्करण विश्व बैंक ने जारी किया है। यह आँकड़ा किसी भी प्रवासी समुदाय द्वारा भेजी गई धनराशि में सर्वाधिक है।
भारत के बाद मेक्सिको, चीन, फिलिपिन्स, नेपाल और पाकिस्तान जैसे देशों का नम्बर आता है। इसी के साथ रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारतीय अब केवल मेहनतकश नौकरियों में नहीं बल्कि अच्छे स्तर की नौकरियों में जुड़े हुए हैं। इसी के साथ अन्य कई रोचक जानकारियाँ इस रिपोर्ट में बाहर आई हैं।
क्या कहती है रिपोर्ट?
रिपोर्ट के अनुसार, भारत इस वर्ष दुनिया में सबसे अधिक रेमिटेंसेस (बाहर से भेजे जाने वाले पैसे) प्राप्त करने वाला देश होगा। ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत को बाहर से आने वाले रेमिटेंसेस का आँकड़ा 100 बिलियन डॉलर हो जाएगा। भारत में आने वाली इस राशि में बढ़ोतरी के पीछे उन देशों में काम करने वालों की कमाई का बढ़ना है।
भारत में आने वाले इन रेमिटेंसेस का देश की अर्थव्यवस्था में 3% का योगदान रहेगा। इसके उलट, पाकिस्तान और नेपाल जैसे देश बड़े स्तर पर बाहर से आने वाले पैसों पर निर्भर हैं। भारत को आने वाले रेमिटेंसेस में इस साल 4% की वृद्धि होने की सम्भावना है। इसके पीछे भारतीयों का अमेरिका यूके और आस्ट्रेलिया जैसे देशों में बड़ी तनख्वाहें अर्जित करना है।
वहीं, एक और आँकड़े में रिपोर्ट ने बताया कि भारत की जनसंख्या का केवल 1.3% हिस्सा ही बाहर के देशों में रह रहा है। जबकि अन्य देशों में यह संख्या काफी बड़ी है।
सिर्फ श्रमिक नहीं, ऊँचे पदों पर पहुँच रहे हैं भारतीय
रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका से आने वाले रेमिटेंसेस ने संयुक्त अरब अमीरात को पीछे छोड़ दिया है। कुल रेमिटेंस में अमेरिका से आने वाली धनराशि का हिस्सा 23% है।
रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि अब भारत से बाहर जाकर काम करने वालों के काम की प्रकृति में बदलाव आया है। पहले जहाँ वह खाड़ी देशों में ब्लू कॉलर जॉब यानि श्रमिकों वाले काम करते थे, वहीं अब वह ऊँचे पदों पर अमेरिका और यूके जैसे देशों में काम कर रहे हैं।
इसका प्रभाव बाहर से आने वाले पैसे में भी दिखा है। वर्ष 2016-17 से वर्ष 2020-21 के बीच अमेरिका, यूके, न्यूजीलैंड से आने वाले रेमिटेंस का हिस्सा कुल रेमिटेंस में 26% से 36% हो गया वहीं खाड़ी देशों से आने वाले रेमिटेंस का हिस्सा 54% से घट कर 28% पर आ गया।
अमेरिकी परिवारों से ज्यादा डॉलर कमा रहे भारतीय
रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में लगभग 50 लाख भारतीय निवास कर रहे हैं जिनमें से 57% अमेरिका में 10 साल से ज्यादा समय से रह रहे हैं। इनमें से 43% लोग स्नातक हैं।
अमेरिका में रहने वाले भारतीय बहुत कुशल हैं। साथ ही कुल रहने वालों में से 82% अंग्रेजी धाराप्रवाह बोल सकते हैं। अमेरिका में रहने वाले भारतीय सर्वाधिक कमाने वाले लोगों में से एक हैं। एक सर्वे के अनुसार, अमेरिका में रहने वाला एक औसत भारतीय परिवार 1,20,000 डॉलर कमाता है, जबकि उसके मुकाबले एक अमेरिकी परिवार मात्र $70,000 कमाता है।
क्या है भारत के पड़ोसियों की स्थिति
भारत के पड़ोसी देशों पकिस्तान, बांग्लादेश,नेपाल और श्रीलंका को क्रमशः 29, 21 और 8.5 बिलियन डॉलर के रेमिटेंसेस इस साल में बाहर के देशों से आएंगे।
आने वाले समय में इन देशों को आने वाले रेमिटेंसेस की धनराशि के घटने का अनुमान है। पाकिस्तान को आने वाले समय में 7% कम बाहर से आने वाले रुपए मिलेंगें। यह पहले से उसकी खराब अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका होगा। भारत के पड़ोसियों में सर्वाधिक प्रभाव श्रीलंका पर इन घटे हुए रेमिटेंस का दिखेगा।
श्रीलंका की डूबी हुई अर्थव्यवस्था को 5.5 बिलियन डॉलर के रेमिटेंसेस मिलेंगें। पाकिस्तान और बांग्लादेश से बाहर काम करने जाने वाले अधिकाँश श्रमिक हैं जो कि खाड़ी देशों में मजदूरी करने जाते हैं।