राजधानी दिल्ली की हालत कुछ ऐसी हो गई है कि धुंए ने पूरे शहर को ढक लिया है। देखना मुश्किल हो गया है, सांस लेने में भी समस्या हो रही है और गला पॉल्यूशन के कारण खराब हो गया है। एयर पॉल्यूशन ‘गंभीर से अधिक’ स्तर पर बताया जा रहा है, और AQI 480 के पार।
गंभीर स्थिति को देखते हुए सरकार ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान यानि की GRAP स्टेज IV के तहत सख्त कदम उठाए हैं, जिसमें मुख्य रूप से डीजल से चलने वाले भारी मालवाहक वाहन, गैर-जरूरी सामान ले जाने वाले ट्रकों पर पर रोक और क्लास को ऑनलाइन मोड में कर दिया गया है।
केंद्र की निर्णय सहायता प्रणाली के अनुसार रविवार को दिल्ली में सबसे अधिक पॉल्यूशन वाहनों के कारण हो रहा है। एयर पॉल्यूशन में वाहनों का योगदान 15.8% था। वहीं शनिवार को पराली जलाने के कारण कुल प्रदूषण का 25% था। PM2.5 प्रमुख प्रदूषक बना हुआ है, जिसके कण इतने छोटे होते हैं कि वे फेफड़ों में गहराई तक जाकर सीरीयस हेल्थ कंडीशन को जन्म देते हैं।
इस गंभीर स्थिति से बचने के लिए ही GRAP स्टेज IV के तहत कदम उठाए जा रहे हैं। तो ये GRAP क्या है? GRAP को आपातकालीन उपाय के रूप में तब लागू किया जाता है जब वायु गुणवत्ता में गिरावट एक निश्चित सीमा तक पहुँच जाती है। एनसीआर के लिए यह चार अलग-अलग चरणों में डिवाइड की गई है; चरण I – ‘खराब’ (AQI 201-300); चरण II – ‘बहुत खराब’ (AQI 301-400); चरण III – ‘गंभीर’ (AQI 401-450); और चरण IV – ‘गंभीर प्लस’ (AQI >450)।
GRAP को पहली बार जनवरी 2017 में Ministry of Environment, Forest and Climate Change द्वारा अधिसूचित किया गया । इस एक्शन प्लान के तहत कड़े कदम उठाए जाते हैं ताकि एयर पॉल्यूशन को कंट्रोल किया जा सके या स्थिति को और बिगड़ने से रोका जा सके।
इन कड़े कदमों में बच्चों, बुजुर्गों और सांस, हृदय, मस्तिष्क संबंधी या अन्य पुरानी बीमारियों से पीड़ित लोगों को जितना संभव हो सके घर के अंदर रहने की अपील की जाती है। आवश्यक वस्तुओं को ले जाने वाले या आवश्यक सेवाएं प्रदान करने वाले वाहनों को छोड़कर दिल्ली में गैर-आवश्यक ट्रक यातायात पर प्रतिबंध रहेगा। कक्षा 10 और 12 के छात्रों को छोड़कर सभी छात्र ऑनलाइन क्लासेस लेंगे।
एनसीआर राज्य सरकारें/जीएनसीटीडी यह तय करेंगी कि सरकारी, नगरपालिका और निजी कार्यालयों में 50% कर्मचारियों को घर से काम करने की अनुमति दी जाए या नहीं।
जीआरएपी चरण 4 में आवश्यक वस्तुओं, सेवाओं को ले जाने वाले ट्रकों को छोड़कर दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध औऱ सिर्फ एलएनजी, सीएनजी, इलेक्ट्रिक, बीएस-VI डीजल ट्रकों को अनुमति रहेगी।
जीआरएपी चरण 3 की तरह सी एंड डी गतिविधियों पर प्रतिबंध रहेगा, जिसमें राजमार्गों, सड़कों, फ्लाईओवर, ओवरब्रिज, बिजली पारेषण, पाइपलाइनों आदि जैसी रैखिक सार्वजनिक परियोजनाएं शामिल हैं।
राज्य सरकारें अतिरिक्त आपातकालीन उपायों पर विचार कर सकती हैं जैसे कॉलेज/शैक्षणिक संस्थानों को बंद करना और गैर-आपातकालीन बिजनेस एक्टिवीटिज को बंद करना, वाहनों को चलाने की अनुमति देना और पंजीकरण संख्याओं के ऑड-ईवन आधार आदि।
इनके अलावा भी प्रतिदिन सड़कों पर वैक्यूम स्वीपिंग और पानी का छिड़काव करना, एयर फिल्टर्स की रेग्युलर सफाई जैसे कदम सरकार द्वारा उठाए जा रहे हैं।
विडंबना देखिए कि धुएं में डूबी दिल्ली की हवा सुधारने के लिए जहां केंद्र द्वारा यह कठोर कदम उठाए जा रहे हैं वहीं राज्य की मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना अभी भी पड़ोसी राज्यों पर आरोप-प्रत्योराप लगाने में व्यस्त है। आतिशी मार्लेना का कहना है कि पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में पराली जलाई जा रही है। केंद्र सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। आज पूरा उत्तर भारत मेडिकल इमरजेंसी में धकेल दिया गया है।
तो आतिशी मार्लेना को आंखे खोलने की जरूरत है ताकि वो देख सके कि जिस दिल्ली को उनके नेता लंदन बनाने चले थे वो लाहौर से बदतर हो गई है।
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